मोदी सरकार राष्ट्रपति पद का राजनीतिकरण कर रही : विपक्ष

Last Updated 07 Feb 2019 03:50:56 PM IST

लोकसभा में विपक्ष ने राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के राजनीतिकरण का सरकार पर आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया है।


कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की कथित उपलब्धियों को पुलिंदा मात्र है। इस अभिभाषण में सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल का लेखाजोखा पेश किया गया है, जो राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के राजनीतिक इस्तेमाल के समान है।
उन्होंने अभिभाषण में मौजूदा सरकार के कामकाज की तुलना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्ववर्ती सरकारों के कामकाज से करने को अनुचित करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां जाते हैं यह कहते फिरते हैं कि पिछले 60 साल में कांग्रेस ने क्या किया, तो हमने (कांग्रेस ने) देश को दूध दिया, विद्या दी, पानी दिया, सब कुछ दिया।’’
 

खड़गे ने 1951 और 2014 के विकासात्मक आंकड़ों की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए कहा कि 1951 में जहां देश की साक्षरता दर 16 प्रतिशत थी वहीं 2014 में यह बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुंच गयी। आजादी के वक्त खाद्यान्न का उत्पादन जहां पांच करोड़ टन था, वहीं 2014 में यह 13 करोड़ 80 लाख टन हो गया। तब दूध का उत्पादन एक करोड़ 70 लाख टन था, जो 2014 में बढ़कर 13 करोड़ 80 लाख टन पर पहुंच गया था। आजादी के बाद देश में 500 कॉलेज थे, जिसकी संख्या 2014 तक 37 हजार के पार पहुंच गयी।

उन्होंने नोटबंदी के दुष्परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के दौरान एक समय सकल घरेलू विकास दर 9.6 प्रतिशत थी, जबकि मोदी सरकार में यह औसतन 7.5 प्रतिशत रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण छोटे व्यापारियों और कारोबारियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

खड़गे ने मोदी सरकार को नाम बदलू, वादाखिलाफ और ‘झूठ बोलने’ वाली सरकार करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने शुरू से ही झूठ बोला, हरेक की जेब में 15 लाख रुपये जाएंगे, हर साल दो करोड़ रोगार देंगे। वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि नोटबंदी के कारण छोटे किसानों को परेशानी हुई, लेकिन सरकार ने रिपोर्ट बदलवा दी। बेरोजगारी की दर 2011-12 में 3.8 प्रतिशत थी और 2017-18 में 6.1 प्रतिशत हो गयी। गांवों में हालत और भी खराब है। वहां बेरोजगारी 17.4 प्रतिशत हो गयी। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण विभाग के दो सदस्य इस्तीफा देकर चले गये। जुलाई 2017-18 में सरकार में करीब ढाई लाख पद खाली पड़े थे। मार्च 2018 में डाकतार विभाग में 55 हजार पद खाली थे। दूरदर्शन आकाशवाणी में नौ आरक्षित श्रेणी के पद खाली पड़े थे।

उन्होंने कहा कि ईएसआई एवं ईपीएफओ के आंकड़ों में नये रोगार की बात नहीं पता चलती, बल्कि पुराने रोगार को इस व्यवस्था से जोड़ने की बात कही गयी है। उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का जिक्र करते हुए कहा कि तीन चार दरों से इसका उद्देश्य खत्म हो गया। हमने अधिकतम दर 18 प्रतिशत रखने को कहा था लेकिन चुनाव आते गये तो दरें कम करते गये।
   
उन्होंने राफेल विमान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार के समय हिन्दुस्तान एयरोनॉटिकल्स लिमिटेड को काम देने का प्रस्ताव था जबकि मोदी सरकार ने जिसे ऑफसेट पार्टनर बनाया उस 45000 करोड़ रुपये की कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में सरकार द्वारा झूठा हलफनामा दायर करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग दोहरायी और कहा कि जब तक यह मामला हल नहीं होगा तब तक लड़ते रहेंगे।



खड़गे ने संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि रिजर्व बैंक में गवर्नरों, आर्थिक सलाहकारों, नीति आयोग के उपाध्यक्षों के आने जाने का सिलसिला लगा रहा। सीबीआई, सर्तकता आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग सब पर सरकार का दबाव है। उन्होंने किसानों का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार ने कारोबार जगत का एक लाख दस हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है, लेकिन किसानों का नहीं। अब चुनाव देख कर घोषणाएं की जा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 11.28 प्रतिशत की दर से बढ़ाये गये लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में यह आंकड़ा केवल 4.91 प्रतिशत रहा। बहुप्रचारित फसल बीमा योजना को 84 लाख किसानों ने छोड़ दिया है। इस योजना से बीमा कंपनियों की कमाई हो रही है।
        
उन्होंने पेट्रोलियम पदाथरें की कीमत से हुई आय का हिसाब मांगा और कहा कि नौ दस लाख करोड़ रुपये की कमाई का क्या हुआ। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक नहीं लाने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की और मनरेगा का आवंटन कम करने का आरोप लगाया जिसका सत्तापक्ष ने कड़ा विरोध किया और कहा कि आवंटन बढ़ाया गया है, घटाया नहीं। उन्होंने राष्ट्रपति अभिभाषण में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का उल्लेख नहीं होने की बात कही। उन्होंने लोकपाल विधेयक को लंबे अरसे लटकाये रखने का आरोप लगाया।

खड़गे ने सरकार के करीब एक दर्जन फ्लैगशिप कार्यक्रमों की सूची पढ़ते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार नाम बदलू सरकार है और उसने संप्रग सरकार की योजनाओं को नाम बदल कर चलाया। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर और कन्नड़ संत बसवण्णा के उद्धरण भी पढ़े और अंत में कहा कि धर्म में भक्ति आत्मा की मुक्ति का मार्ग है लेकिन राजनीति में भक्ति गिरावट का कारण बन जाती है और एक प्रकार से तानाशाही की ओर लेकर जाती है।
 

 

वार्ता
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment