सीबीआई Vs ममता: राजीव कुमार CBI के सामने पेश हों: SC

Last Updated 05 Feb 2019 10:35:11 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को शारदा चिटफंड मामले की जांच में सहयोग का निर्देश देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के समक्ष शिलांग में पेश होने का आदेश दिया।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि कुमार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई फिलहाल नहीं की जाएगी, न ही उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा।

सीबीआई की ओर से पेश एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कुमार शीर्ष अदालत के आदेश पर शारदा चिटफंड मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, साथ ही पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भी इस मामले में हस्तक्षेप कर रही हैं।

वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले की जांच से संबंधित कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड (सीडीआर) उपलब्ध तो कराये गये हैं लेकिन आधे-अधूरे। उन्होंने कहा कि जांच के लिए आयुक्त के आवास गये सीबीआई के अधिकारियों को उल्टे हिरासत में ले लिया गया।

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने, हालांकि वेणुगोपाल की इन दलीलों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि जिस दिन अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उस दिन, खासकर रविवार को, कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई अधिकारियों का उनके आवास पर जाना सवाल के घेरे में है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति गोगोई ने कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि आयुक्त के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई या गिरफ्तारी नहीं की जायेगी।

न्यायालय ने कहा कि कुमार शिलांग के किसी तटस्थ स्थान पर सीबीआई के समक्ष पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे। शिलांग का चयन तब किया गया जब एटर्नी जनरल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में शासन प्रशासन की व्यवस्था बहुत ही बुरे हालात में है, ऐसी स्थिति में कुमार से वहां पूछताछ किया जाना मुश्किल होगा। उन्होंने दिल्ली या किसी अन्य स्थान पर उनसे सीबीआई पूछताछ की अनुमति देने का आग्रह किया।

इस मामले में सीबीआई ने अदालत के आदेश की अवमानना का मामला भी दर्ज किया है, जिसे लेकर न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और कोलकाता पुलिस आयुक्त को नोटिस भी जारी किये, जिसका जवाब 18 फरवरी तक देना है।

न्यायालय ने कहा कि नोटिस का जवाब 18 फरवरी को देना होगा और अगले दिन यानी 19 फरवरी को खंडपीठ निर्णय करेगी कि किसी अधिकारी को इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश होने का आदेश दिया जाये। मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।

वार्ता
नयी दिल्ली


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