साढ़े तीन साल में एक राफेल नहीं आया भारत : प्रशांत भूषण
राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने केन्द्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
वकील प्रशांत भूषण (file photo) |
वकील ने कहा कि भारतीय वायुसेना को जल्द से जल्द आधुनिक लड़ाकू विमान से सुसज्जित करने की बात कहकर फ्रांस से सौदा किया गया, लेकिन हकीकत यह है कि करार हुए साढ़े तीन साल बीत गए पर एक राफेल भी भारत नहीं आया है। 36 राफेल का सौदा हुआ है, लेकिन विमान आने में अभी कई साल लगेंगे।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की बेंच के समक्ष भूषण ने कहा कि एक विमान की कीमत 155 मिलियन यूरो थी और अब यह 270 मिलियन यूरो हो गई है। इससे पता चलता है कि इनकी कीमत में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सीबीआई इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य है।
भूषण ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट के साथ साजिश करने का भी आरोप लगाया, जिसने आफसेट अधिकार रिलायंस को दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार के समान है और यह अपने आप में एक अपराध है। रिलायंस के पास आफसेट करार को क्रियान्वित करने की दक्षता नहीं है।
सीबीआई द्वारा इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने के बाद ही यह याचिका दायर की गई है। इस मामले की जांच की आवश्यकता है और कोई यह कैसे कह सकता है कि अदालत की निगरानी में जांच की जरूरत नहीं है।
भूषण ने रिलायंस को आफसेट करार देने में आपराधिक मंशा पर जोर देते हुए फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और दसाल्ट के दूसरे अधिकारियों के कथन का हवाला दिया।
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