आरसी में जिसका नाम, वही भरेगा मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 04 Mar 2018 05:43:18 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वाहन का बीमा नहीं होने पर दुर्घटना के लिए जिम्मेदार गाड़ी के मालिक को पीड़ित को मुआवजा देना होगा, भले ही उसने वाहन किसी और को बेच दिया हो.


सुप्रीम कोर्ट

मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, वाहन का मालिक वही है, जिसका रजिस्ट्रेशन र्सटििफकेट(आरसी) में नाम दर्ज है. सडक़ दुर्घटना होने पर मृतक के आश्रित या घायल को मुआवजा देने की जिम्मेदारी उसी की है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अजय खानिवलकर और धनंजय चंद्रचूड़ की बेंच ने वाहन के आखिरी खरीदार पर मुआवजा भरने का आदेश देने के पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. एक बच्चे की मौत की जिम्मेदार कार मारु ति-800 चार बार बिक चुकी थी, लेकिन रजिस्ट्रेशन र्सटििफकेट (आरसी) में गाड़ी के मूल खरीदार विजय कुमार का नाम ही चला आ रहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(30) का हवाला देते हुए कहा कि कार या वाहन का मालिक वही है, जिसका नाम आरसी में दर्ज है. इसके सिर्फ  दो अपवाद हैं- एक- यदि गाड़ी किसी नाबालिग के नाम है तो गार्जियन जिम्मेदार है और दूसरे- अगर वाहन किसी बैंकिंग संस्था से फाइनेंस कराई गई है तो जिस व्यक्ति का वाहन पर कब्जा है, वह मुआवजा भरेगा.

सड़क दुर्घटना 27 मई, 2009 को हुई थी. मारुति कार से कुचलकर नितिन की मौके पर ही मौत हो गई थी और उसकी बुआ जय देवी घायल हो गई थी. जय देवी और मृतक के पिता सोमवीर और मां सरोज ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) में मुआवजे के लिए याचिका दायर की. अदालत में सुनवाई के दौरान कार के मालिक विजय ने कहा कि उसने अपना वाहन 12 जुलाई, 2007 को भिवानी निवासी सुनील कुमार को बेच दिया था. इसके लिए फार्म 29 और 30 पर भी हस्ताक्षर कर दिए थे. सुनील ने कहा कि उसने कार रवीन्द्र को बेच दी और रवीन्द्र ने कहा कि उसने मीर सिंह को.
हाई कोर्ट ने आखिरी खरीदार नवीन कुमार को मुआवजे की राशि अदा करने का आदेश दिया. एमएसीटी ने अक्टूबर 2012 में मुआवजे के रूप में जय देवी को दस हजार रुपए और मृतक नितिन के माता-पिता को तीन लाख 75 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था.
 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन इसीलिए किया गया था कि दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजे के लिए भटकना न पड़े. 1939 के अधिनियम में भ्रम की स्थिति पैदा होने के कारण संसद ने संशोधन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वाहन की सेकेंड, र्थड या उससे आगे की बिक्री के लिए खरीदार और बेचने वाला दोनों जिम्मेदार हैं. दोनों का दायित्व है कि आरसी में अपना नाम दर्ज कराएं. आरसी में मालिक के नाम के परिवर्तन के लिए भी नियमावली है. 
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विवेक वार्ष्णेय
सहारा न्यूज ब्यूरो


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