अब विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन नहीं होगी मेडिकल की पढ़ाई
देशभर के विश्वविद्यालयों में अब कोई भी मेडिकल पाठ्यक्रम डिस्टेंट लर्निग यानी पत्राचार या फिर ऑनलाइन मोड में नहीं चलाए जा सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी मेडिकल कोर्सेज को डिस्टेंट मोड या फिर ऑनलाइन मोड पर चलाए जाने पर रोक लगा दी है।
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यूजीसी ने राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देखभाल व्यवसाय आयोग अधिनियम (एनसीएएचपी) अधिनियम, 2021 के अंतर्गत आने वाले स्वास्थ्य सेवा और संबद्ध विषयों में विशेषज्ञता के कार्यक्रमों को ओडीएल और ऑनलाइन मोड में चलाए जाने पर रोक लगा दी है।
यूजीसी के डीईबी कार्य समूह (डीडब्ल्यूजी) की बैठक में ये सिफारिश की गई, जिसके बाद यूजीसी ने इस संबंध में देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए निर्देश जारी किए हैं।
बता दें कि आयोग ने अपनी 592वीं बैठक में एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 के अंतर्गत आने वाले स्वास्थ्य सेवा और संबद्ध विषयों में विशेषज्ञता के कार्यक्रमों को ओडीएल और ऑनलाइन मोड में प्रस्तुत करने की व्यवहार्यता पर विचार-विमर्श किया।
आयोग ने निर्णय लिया कि किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान को शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त और उसके बाद ओडीएल या ऑनलाइन मोड के तहत विशेषज्ञता के रूप में मनोविज्ञान सहित एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल किसी भी संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा कोर्स की पेशकश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
साथ ही शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त और उसके बाद के लिए ऐसे पाठ्यक्रम की पेशकश करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को पहले से दी गई कोई भी मान्यता यूजीसी द्वारा वापस ले ली जाएगी।
इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि हिंदी, पंजाबी, अर्थशास्त्र, इतिहास, गणित, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, सांख्यिकी, मानवाधिकार एवं कर्तव्य, संस्कृत, मनोविज्ञान, भूगोल, समाजशास्त्र, महिला अध्ययन जैसे बहु-विशेषज्ञता वाले स्नातक कोर्सेज के मामले में केवल एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल विशेषज्ञताओं को ही वापस लिया जाएगा। उच्च शिक्षा संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे आगामी शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2025 से ऐसे कार्यक्रमों में किसी छात्र को दाखिला न दें।
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