शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को दी गई महासमाधि
कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को आज वैदिक सम्मान के साथ मठ के वृंदावन उपभवन में महासमाधि दी गई.
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मंत्रोच्चारण के बीच 82 वर्षीय शंकराचार्य की पार्थिव देह को उपभवन में बनाए गए सात फुट लंबे एवं सात फुट चौडे समाधि स्थल के भीतर रखी बांस की एक बड़ा टोकरी में बैठी हुई मुद्रा में रखकर समाधि दी गई.
समाधि स्थल को वसंबु, नमक, चंदन और रेत से भरा गया था.
सुबह सात बजकर 45 मिनट से शुरू होकर साढ़े तीन घंटे चली अंतिम संस्कार की इस प्रक्रिया के आखिर में एक महा आरती की गई. इस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित भी मौजूद थे.
अंतिम संस्कार की यह प्रविया जयेंद्र सरस्वती की देह के अभिषेकम यानि स्नान के साथ शुरू हुई.
मठ का प्रांगण मंत्रोच्चारण से गुंजायमान हो उठा और भावविभोर श्रद्धालुओं ने उन्हें अंतिम विदाई दी.
समाधि दिए जाने से पहले उनकी देह को मुख्य भवन से वृंदावनम उपभवन तक एक कुर्सी पर लाया गया. यहां उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की भी समाधि है.
शंकराचार्य के पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए कल सुबह से ही मठ परिसर के मुख्य भवन में रखा गया था.
समाधि दिए जाने के दौरान कैलय वद्यम (तमिल संगीत का एक प्रकार) बजाया गया जिससे श्रद्धालु की आंखें नम हो गईं.
इस तरह का संगीत अमूमन शिव मंदिर में पूजा के दौरान बजाया जाता है.
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया विजयेंद्र सरस्वती और शंकराचार्य के कुछ करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में हुई.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन और सदानंद गौडा और भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष तमिलिसाईं सौंदराराजन भी मौजूद थे.
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