जनरल बिपिन रावत ने कहा, हमेशा सेना में जाना चाहता था

Last Updated 17 Feb 2018 03:42:11 PM IST

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का कहना है कि वह बचपन में अपने विद्यालय की पोशाक भले ही पहनते थे लेकिन उनके दिल में हमेशा सेना की वर्दी पहनने की लालसा रहती थी.


सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो)

रावत के लिये जिंदगी ने शायद कुछ ऐसा ही तय कर रखा था. उन्होंने न सिर्फ सेना की वर्दी पहनी बल्कि सेना प्रमुख के पद तक भी पहुंचे. उत्तराखंड से आने वाले रावत ने कहा कि वह शुरुआती शिक्षा के दौरान सीखे गए मानवीय सबकों को भूले नहीं हैं.

जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के छात्रों के एक समूह से बात करते हुये जनरल रावत ने कहा कि कभी भी कठिन परिश्रम से समझौता न करें और नाकामियों से आहत न हों.

उन्होंने कहा, ‘‘किसी के विफल होने पर उसकी क्षमता को कमतर न आंकें क्योंकि ऐसे लोग अगर तय कर लें, कठिन परिश्रम करें तो वह उन लोगों से भी आगे जा सकते हैं जिन्होंने सफलता पाई है.’’

सेना प्रमुख ने इसके बाद अपनी बात रखने के लिये पुरानी बातों को याद करते हुए कहा, ‘‘मेरे विद्यालय का एक छात्र था जो मुझसे एक वर्ष वरिष्ठ था. वह अपनी कक्षा में फेल हो गया और हमारे साथ हमारी कक्षा नौवीं में आ गया. कक्षा दस में उसका प्रदर्शन सामान्य रहा और वह पास हो गया लेकिन कक्षा 11 में उसने टॉप किया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी इससे हैरान रह गये. जब बोर्ड पर रिजल्ट लगाया गया तो उसका नाम सबसे ऊपर था. मैं टॉप पांच छात्रों में था, लेकिन उसके परीक्षा परिणाम और दृढ़ इच्छाशक्ति ने दिखाया कि जो लोग विफल होते हैं वह चाहें तो दुनिया के लिये नजीर बन सकते हैं.’’

सेना की वर्दी पहने रावत ने कहा कि वह छात्र बाद में प्रतिष्ठित डॉक्टर बना.

उन्होंने बाद में कार्यक्रम से इतर अपने बचपन का सपना साझा करते हुये कहा, ‘‘हां, मैं हमेशा से सेना में आना और देश की सेवा करना चाहता था.’’ रावत को देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में प्रतिष्ठित सोर्ड ऑफ ऑनर दिया गया था. उन्होंने कहा कि सेना का जीवन मुझे हमेशा से आकर्षित करता था.

भाषा


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