एसआईटी करे जज लोया मामले की जांच, राष्ट्रपति से मिले विपक्षी सांसद
विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंप कर सीबीआई की विशेष अदालत के जज बी एच लोया की मौत के मामले में न्यायालय की निगरानी में एसआईटी जांच कराने की मांग की.
सीबीआई की विशेष अदालत के जज बी एच लोया की मौत के मामले में विपक्षी सांसद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन सौंपने के बाद बाहर आते हुए. |
सांसदों ने कहा कि उन्हें सीबीआई या एनआईए की जांच पर भरोसा नहीं है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई राजनीतिक पार्टियों के सांसदों ने आज राष्ट्रपति से मुलाकात की और मांगों का ज्ञापन सौंपा. विपक्ष ने कहा कि कानून की महिमा बरकरार रखने के लिए हम आपसे इस मामले में दखल देने का अनुरोध करते हैं. उच्चतम न्यायालय की ओर से चुनी गई स्वतंत्र अधिकारियों की टीम और न्यायालय की ही निगरानी में गहन जांच की जरूरत है.
ज्ञापन पर तृणमूल कांग्रेस, सपा, एनसीपी, द्रमुक, राजद, आप और वामपंथी पार्टियों सहित 15 पार्टियों के 114 सांसदों के दस्तखत हैं. बसपा ने पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं. सांसदों ने कहा कि सीबीआई और एनआईए का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए जांच की जिम्मेदारी उन्हें नहीं सौंपनी चाहिए. उन्होंने राष्ट्रपति से कहा, ऐसी प्रक्रिया से लोगों की नजरों में संस्था की विसनीयता सुनिश्चित होगी. हम उम्मीद करते हैं कि आप न्याय दिलाने के लिए अपने पद का अच्छा इस्तेमाल करेंगे. राष्ट्रपति से मिलने के बाद राहुल ने कहा, बहुत सारे सांसदों का मानना है कि लोया की मौत और उसके बाद हुई दो और मौतों में कुछ संदेहास्पद है. वे स्वतंत्र जांच चाहते हैं और सीबीआई को जांच नहीं सौंपना चाहते. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की और उन्हें आस्त किया कि वह मामले को देखेंगे.
महाराष्ट्र ने किया जांच की मांग का विरोध
महाराष्ट्र ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट में इन्हें ‘प्रेरित’ और ‘पीत पत्रकारिता’ पर आधारित बताया. महाराष्ट्र के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि चार न्यायिक अधिकारियों के अपने बयान दर्ज कराने के बाद यह सुनवाई अवश्य खत्म होनी चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘क्या आप यह कहना चाहते हें कि मैंने प्रेरित अर्जी दी है.’ (भाषा)
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