तानाशाह मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया : राहुल

Last Updated 08 Nov 2017 01:10:35 PM IST

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर केंद्र सरकार के नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया तानाशाह करार दिया.


तानाशाह मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया : राहुल

राहुल गांधी ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे एक लेख में कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि बीते साल 8 नवंबर को लिया गया नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार का सफाया करने के लिए है, लेकिन इन 12 महीनों में उन्होंने केवल एक चीज का सफाया किया है, वह है हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर से भरोसे का सफाया.

राहुल गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला किया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेरोजगारी के कारण उपजे गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में बदलने का आरोप लगाया.

राहुल गांधी ने कहा, "नोटबंदी से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)में दो फीसदी की गिरावट आई. इसने असंगठित क्षेत्र को तबाह कर दिया व साथ ही कई लघु व मध्यम व्यवसायों को खत्म कर दिया. इसने लाखों मेहनतकश भारतीयों के जीवन को बर्बाद कर दिया.

भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के अनुसार 2017 के पहले चार महीनों में नोटबंदी की वजह से 15 लाख से अधिक लोगों ने अपनी नौकरियां गवां दीं."

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जीएसटी को जल्दीबाजी में और गलत तरीके से लागू किया गया कदम बताया.

राहुल गांधी ने कहा, "इसने आजीविका को तबाह कर दिया है और इसने आधुनिक समय में 'लाइसेंस राज' को जन्म दे दिया है, जिसमें कठोर नियंत्रण लागू कर दिए गए हैं और सरकारी अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं."

राहुल ने कहा, "ये दो अधिनियम ऐसे समय में आए हैं जब वैश्विक ताकतों को भारत की अर्थव्यवस्था से विशेष उम्मीदें हैं."

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उभरने को बेरोजगारी के कारण उपजे क्रोध व हताशा से जोड़ा. उन्होंने साथ ही इसी हताशा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने व ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की भी वजह माना.

राहुल गांधी ने कहा, "मोदी जैसे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए तानाशाहों का उदय दो कारणों से होता है - पहला संपर्क में व्यापक स्तर पर वृद्धि व संस्थानों पर इसके गहरा प्रभाव व दूसरा चीन का वैश्विक रोजगार बाजार पर प्रभुत्व."



 

--आईएएनएस


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