'वंदेमातरम' इस्लाम के खिलाफ कतई नहीं : कुरैशी
राष्ट्रगान 'वंदेमातरम' को लेकर देश में छिड़ी बहस को औचित्यहीन करार देते हुये वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता एवं पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने कहा कि चंद ताकतें इस बारे में बेवजह बखेड़ा खड़ा कर रही हैं.
कांग्रेसी नेता एवं पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी (फाइल फोटो) |
उत्तराखंड, मिजोरम और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रह चुके श्री कुरैशी ने 'यूनीवार्ता' से कहा वंदेमातरम गीत को गाने के लिये लोगों को बाध्य करने वाले और इसे गाने का विरोध करने वाले दोनों बेवकूफ हैं. मैं अपने छात्र जीवन में हर रोज इस गीत को स्कूल की प्रार्थना के समय गाता था लेकिन अब कोई मुझसे जबरदस्ती इसे गाने को कहेगा तो मैं हरगिज नहीं गाऊंगा.
वयोवृद्ध नेता ने साफ किया कि वंदेमातरम में इस्लाम के खिलाफ कुछ भी नही है लेकिन राष्ट्रगान को गाये जाने के लिये बाध्य किये जाने की भी बराबर की निंदा की जानी चाहिये.
उन्होंने कहा कि वंदेमातरम के पूर्व संस्करण में कुछ पंक्तियों पर इस्लाम के जानकारों को ऐतराज था जिसे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद समेत अन्य मुस्लिम बुद्धजीवियों की अनुशंसा पर हटा दिया गया था. श्री कुरैशी ने कहा कि मौलाना आजाद को वंदेमातरम में कुछ भी आक्रामक नहीं लगा. यह विशुद्ध रूप से मातृभूमि की वंदना है.
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह भारत माता की जय कहने में भी कोई विवाद नही होना चाहिये. भारत माता की जय हिन्दुस्तान जिंदाबाद का पर्यायवाची है. उन्हे समझ नहीं आता कि कुछ मुस्लिमों को भारत माता की जय बोलने में क्या ऐतराज है.
राम मंदिर मसले पर श्री कुरैशी ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और कथित धार्मिक नेता समय-समय पर इस मसले पर उलूल जुलूल बयानबाजी कर समाज को बांटने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन समझदार हिन्दू मुसलमान उनके उकसावे में नहीं आते और ऐसे लोगों की मंशा धरी की धरी रह जाती है.
कुरैशी ने कहा कि अयोध्या मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और इस संवेदनशील मसले में सर्वोच्च अदालत के निर्णय का दोनों पक्षों को सम्मान करना चाहिये. हिन्दू और मुसलमान न्यायपालिका पर पूरा भरोसा रखते हैं और उसका निर्णय सभी के लिये सर्वमान्य होगा.
पूर्व राज्यपाल ने बगैर किसी का नाम लिये कहा कि जो लोग इस मामले में दखलदांजी करते हैं और अदालत से बाहर सुलह समझौते की बात करते हैं, उनके अपने निजी स्वार्थ हैं. सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये चंद लोग अदालत और लोगों को गुमराह कर रहे हैं, हालांकि उन लोगों को इस मसले पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि हिन्दू और मुसलमानों ने एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान कर भाई-चारे की मिसाल कायम की है. हिन्दू नेता अक्षय बृम्हचारी को याद करते हुये श्री कुरैशी ने कहा कि वह पहले आदमी थे जिन्होंने बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ने पर एतराज जताया था. उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने इस मामले को उठाया था.
इसी तरह अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने यहां उस वक्त फौज तैनात कर दी थी जब कुछ उग्र मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या में धार्मिक स्थलों पर जबरदस्ती कब्जा करने की कोशिश की थी.
उन्होंने कहा मैने लोकसभा में कहा था कि राममंदिर को ढहा कर बाबरी मस्जिद के निर्माण होने के कुछ भी प्रमाण मिलते हैं तो वहां राममंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिये.
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