सीतारमण ने चिंता जताई, कहा- क्षेत्रीय देश बना रहे उपस्थिति, हिंद महासागर में सेना की मौजूदगी अनुचित
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंद महासागर में बढ़ते सैन्यीकरण और अतिरिक्त क्षेत्रीय देशों द्वारा एक या अन्य बहाने से क्षेत्र में स्थाई उपस्थिति बनाए रखने पर चिंता जाहिर की है.
गोवा के नौवहन कनक्लेव के उद्घाटन अवसर पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के साथ नौसेना प्रमुख सुनील लांबा एवं अन्य नौसेना अधिकारी. |
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का सैन्यीकरण क्षेत्र के देशों के लिए जटिलताओं को बढ़ाता है.
रक्षा मंत्री ने कहा, हिंद महासागर पिछले कुछ दशकों से शांतिपूर्ण रहा है. हालांकि, इन हालात का लाभ उठाने तथा उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने से संबंधित हमारा सामूहिक निर्णय भविष्य में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को प्रभावित करेगा. रक्षा मंत्री गोवा नौवहन कनक्लेव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थीं. कनक्लेव का लक्ष्य क्षेत्र में नौवहन चुनौतियों का समाधान करना है.
सीतारमण ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि हिंद महासागर में बढ़ता सैन्यीकरण क्षेत्र में परस्पर दो रूपों में प्रकट हुआ है. उन्होंने कहा, हमने भी देखा है कि अतिरिक्त क्षेत्रीय देशों ने एक या अन्य बहाने से क्षेत्र में लगभग स्थाई उपस्थिति बना ली है.
रक्षा मंत्री ने कहा, ऐसी उपस्थिति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त क्षेत्रीय देश इलाके में नौवहन चौकियां बना रहे हैं और बुनियादी ढांचे का दोहरा इस्तेमाल कर रहे हैं. इस तरह का बढ़ता सैन्यीकरण इस क्षेत्र के देशों के लिए जटिलताओं को बढ़ाता है.
रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में गैर सरकारी तत्वों के उभार पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि गैर सरकारी तत्वों का सिद्धांत कोई नया नहीं है, क्योंकि देश ऐसी समस्याओं से जमीन पर तथा समुद्र में पुरातन समय से लड़ते आ रहे हैं.
नीली अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समुद्र का तल अपेक्षाकृत शुद्ध खनिजों के भविष्य और प्रचुर मात्रा के स्रोत के रूप में उभरा है, जिससे सागर की आर्थिक क्षमता में बढ़ोतरी हो रही है.
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