स्वदेशी जागरण मंच ने चीनी वस्तुओं के खिलाफ बिगुल फूंका

Last Updated 30 Oct 2017 06:36:54 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने चीन की ओर से निरंतर घटिया गुणवत्ता वाले सामान आने के खिलाफ नाराजगी जताते हुए सरकार से चीनी सामान पर रोक लगाने की मांग की.


रामलीला मैदान में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित स्वदेशी महारैली में मंच पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार एवं अन्य धर्मो के प्रतिनिधि.

मंच ने सरकार से मांग की कि वह देश में चीन की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाए और उसके साम्राज्यवादी, आक्रमणकारी, युद्धोन्मादी व अहंकारी स्वभाव को खत्म करने के लिए समुचित कदम उठाए.

रामलीला मैदान में मंच द्वारा आयोजित स्वदेशी महारैली में देशभर से आए एक लाख से अधिक लोगों के सामने इस आशय के घोषणा-पत्र में सरकार से यह मांग भी की गई कि वह तिब्बत को चीन से आजाद कराने के लिए विभर में कूटनीतिक अभियान आरंभ करे. बाद में मंच के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें आठ सूत्रीय मांगें रखी गई हैं, जिनमें यह मांग भी शामिल है. महारैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार, मंच के समन्वय प्रमुख अनी महाजन,  किसान नेता डॉ. कृष्णबीर चौधरी, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी मेजर जनरल जीडी बख्शी समेत अनेक गणमान्य हस्तियां शामिल हुईं.

घोषणा-पत्र में कहा गया कि समाज में चीनी सामान व चीन की आक्रमणकारी मानसिकता के विरोध में जनभावना बनी है. सरकार ने इसके विरुद्ध कई सराहनीय कदम उठाए हैं, जिनमें चीन के कुछ सामान पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाना, प्लास्टिक वस्तुओं पर गुणवत्ता मापदंड लगाना, चीन की वन बेल्ट -वन रोड पहल का बहिष्कार और डोकलाम घटनाचक्र में चीन को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर अलग-थलग करना शामिल हैं.

घोषणा-पत्र में कहा गया कि चीन हमारे पड़ोसी व मित्र देशों बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका आदि देशों को अत्यंत महंगा ऋण देकर उनकी जमीनें हड़पने की साजिश रच रहा है. आतंकवाद की कोख पाकिस्तान और एकछत्रवादी उत्तर कोरिया को चीन का गहन समर्थन विश्व के लिए घातक है.

हमें देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पड़ोसी देशों को उसके कुचक्र से बचाना होगा. चीन के साम्राज्यवादी, आक्रमणकारी, युद्धोन्मादी एवं अहंकारी स्वभाव को खत्म करने के लिए उसकी आर्थिक ताकत तोड़ने के साथ तिब्बत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में पुन: प्रतिष्ठित करना होगा.

प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई कि चीनी माल से मुकाबले के लिए घरेलू उत्पादन क्षेत्र को क्षमता निर्माण के लिए विशेष रियायतें दी जाएं. सरकार कड़े गुणवत्ता मानदंड बनाकर चीनी आयात नियंत्रित करे. चीन से व्यापक आर्थिक साझीदारी (आरसेप) का करार एवं अन्य निवेश संबंधी कोई करार न करे. तिब्बत को चीन के शिकंजे से मुक्त कराने के लिए वैश्विक गठबंधन तैयार करके दुनिया भर में समर्थन जुटाने के लिए अभियान शुरू करे.

मंच ने कहा कि वर्ष 2016-17 में चीन से भारत का व्यापारिक घाटा 51.1 अरब डॉलर यानी करीब तीन लाख 30 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. सरकार को वि व्यापार संगठन के समझौतों एवं नियमों में आयात शुल्क की उच्चतम सीमा तक शुल्क लगाना चाहिए. चीन से भारी मात्रा में आयात, व्यापार घाटे एवं निवेश की जटिलताओं व नुकसान के अध्ययन के लिए सरकार को वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों में विशेष चीनी प्रकोष्ठों की स्थापना की जानी चाहिए.

 

 

सहारा न्यूज ब्यूरो


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