‘छुट्टियों के दौरान भी मिले मिड-डे मील’
झारखंड में हाल में कथित रूप से भुखमरी के चलते एक बच्ची की मौत के संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि स्कूल की छुट्टियों के दौरान भी मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने की संभावनाओं का रास्ता तलाशा जाना चाहिए.
Time to explore mid-day meals during school holidays said HRD |
अधिकारी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि 11 वर्षीय बच्ची मध्याह्न भोजन से वंचित नहीं थी, जबकि यह भी सत्य है कि वह स्कूल में छुट्टियों के दौरान इसका लाभ नहीं ले सकी और इसी के चलते उसकी मौत हुई.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के अंतर्गत स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में विशेष सचिव रीना रे ने कहा, ‘क्या हम अत्यंत गरीब तबके के लिए कुछ ऐसा नहीं सोच सकते जिसमें हम उन्हें छुट्टियों के दौरान भी मध्याह्न भोजन उपलब्ध करा सकें?’
अधिकारी यहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं के संदर्भ में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को लागू करने के विषय पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में बोल रही थीं.
उन्होंने माना कि इससे भारी वित्तीय खर्च आएगा और यह योजना पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है.
क्या है मध्याह्न भोजन योजना
मध्याह्न भोजन योजना के तहत कक्षा एक से आठ में पढ़ने वाले छह से 14 साल के हर स्कूली बच्चे को निश्चित अधिसूचित पोषण मानकों के आधार पर पका हुआ गर्म भोजन उपलब्ध कराया जाता है. यह योजना एचआरडी मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत आती है.
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