सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें किसान :मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार खेती की लागत कम करने के उपाय कर रही है और श्वेत क्रांति , ब्ल्यू क्रांति, स्वीट क्रांति, जल क्रांति और सौर ऊर्जा के माध्यम से किसानों की आय बढाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
![]() प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो) |
प्रधानमंत्री ने पुणे स्थित भारतीय एग्रो फाउंडेशन के स्वर्ण जयंती समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तथा नीम लेपित यूरिया उपलब्ध कराने से कृषि लागत में कमी आयी है और उत्पादन भी बढा है. देश ग्रीन और वाइट रिवोल्यूशन से परिचित है लेकिन अब ब्ल्यू और स्वीट रिवोल्यूशन पर ध्यान देने तथा खेती में सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की जरुरत है जिससे डीजल की खपत कम की जा सके और खेती की लागत घटे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मछली पालन और मधुमक्खी पालन से किसान और मछुआरे अतिरिक्त आय बढा सकते हैं. एक किसान 50 बी कालोनी से सालाना दो लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर सकता है और मधुमक्खी के माध्यम से फसलों में परागण से उत्पादकता में भी वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा कि वाटर रिवोल्यूशन से उनका आशय किसानों को समझदारी से पानी के उपयोग करने को लेकर है.
मोदी ने कहा कि खेती में कोई भी चीज बेकार की नहीं है और इसके अवशेषों से कम्पोस्ट तैयार कर किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने किसानों से खेतों के मेड़ पर सोलर पैलन लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि गांवों में सोलर कोआपरेटिव बनाकर न केवल पूरे गांव को बिजली की आपूर्ति की जा सकती है बल्कि इसे बेचा भी जा सकता है.
मोदी ने कहा कि गांव को सशक्त करके ही देश को मजबूत बनाया जा सकता है और इसके लिए केन्द्र, राज्यों, किसानों तथा विभिन्न संस्थाओं को मिलकर मिशन मोड में काम करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि केवल धान, गेहूं और सरसों की खेती ही कृषि नहीं है बल्कि कृषि से जुडा हर क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में लोग खानपान की चीजों में रसायन से मुक्ति चाहतें हैं. इसके लिए जैविक कृषि और औषधीय तथा सुगंध वाले पौधों की खेती के लिए किसानों को जागरुक करने की जरुरत है. विदेशों में जैविक और औषधीय एवं सुगंध वाले पौधों की भारी मांग है और इससे किसानों की आय को बढाया जा सकता है.
पशुपालन के क्षेत्र में महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र से 70 प्रतिशत महिलायें जुटी हैं. वे पशुओं के पालन पोषण के अलावा दूध निकालने और उसके व्यवसाय से भी जुडी हैं. इन महिलाओं को यदि वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन और वेटनरी एजुकेशन का प्रशिक्षण दिया जाये तो महिला कौशल पर टिका पशुपालन क्षेत्र काफी आगे बढ़ सकता है और इससे महिला सशक्तीकरण भी हो सकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पशुओं की बीमारियों के कारण देश में सालाना 40 हजार करोड रुपये का नुकसान होता है. देश के कोने-कोने में पशु आरोज्ञ मेला लगाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय एग्रो फाउंडेशन जैसी संस्था इस काम को आसानी से कर सकती है. ऐसे मेलों का आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में भी किया जा सकता है जहां जैविक कृषि की अपार संभावना है.
मोदी ने कहा कि देश के संतुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि गांवों में रहने वाला किसान सशक्त हो. सशक्त किसान के बिना न्यू इंडिया का सपना साकार नहीं हो सकता और इसलिए सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य पर काम कर रही है. अब कृषि योजनाओं की सोच में बदलाव करते हुए, उत्पादन पर जोर देने के बजाय आय बढाने पर ध्यान दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आज सरकार बीज से बाजार तक किसानों के साथ खड़ी है. पानी की एक-एक बूंद के इस्तेमाल पर जोर है. जैविक खेती और फसल विविधिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. किसानों को मिट्टी की सेहत की जानकारी के लिए अब तक 9 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जा चुके हैं.
ईनाम योजना के तहत देशभर की 500 से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा रहा है. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना भी शुरू की गई है. इसका मकसद देश में भंडारण की समस्या से निपटना और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है.
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अगर किसी वजह से फसल खराब भी हो गई तो किसानों की जिंदगी पर आफत ना आए. किसानों को सूदखोरों के चंगुल से निकालने के लिए सबसे कम ब्याज दरों पर कर्ज दिया जा रहा है. सरकार का प्रयास है कि किसान खेती से जुड़ी चिंता से मुक्त हो, खेती की लागत कम हो और आमदनी बढ़े. जब अन्नदाता चिंतामुक्त होगा, तो देश भी विकास की नई ऊँचाई प्राप्त करेगा.
सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने 99 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का काम शुरु किया है जिनमें से 19 इस साल पूरा हो जायेगा. सरकार मनरेगा योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि जल संरक्षणर पर खर्च कर रही है.
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