पैगम्बर ने तलाक को सबसे नापंसद बात घोषित की थी: न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पैगम्बर मोहम्मद ने तलाक को खुदा की नजर में जायज चीजों में से सबसे नापंसद किया जाने वाला कदम घोषित किया था क्योंकि इससे पारिवारिक जीवन की बुनियाद शादी टूट जाती है.
(फाइल फोटो) |
बहुमत का फैसला देने वाले न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन ने कहा कि तलाक से सिर्फ एक महिला और पुरूष के बीच शादी नहीं टूटती है, बल्कि इससे बच्चों पर गंभीर मनौवैज्ञानिक दबाव भी पड़ता है.
न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि इस्लाम में शादी एक अनुबंध है और किसी दूसरे अनुबंध की तरह इसे भी कुछ निश्चित हालात में तोड़ा जा सकता है.
उन्होंने कहा, वास्तव में पैगम्बर मोहम्मद ने तलाक को खुद की नजर में जायज चीजों में सबसे नापंसद किया जाने वाला कदम घोषित किया था. तलाक से पारिवारिक जीवन की बुनियाद शादी टूट जाती है.
उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा अमान्य, अवैध और असंवैधानिक है.
शीर्ष अदालत ने 3:2 के बहुमत से सुनाए गए फैसले में तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया.
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