'प्रभु' भरोसे छोड़ा ट्रैक
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली रेलवे स्टेशन के करीब हुई कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना पूरी तरह लापरवाही का नतीजा है.
खतौली रेलवे स्टेशन के करीब हुई कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना. |
आला अफसरों से लेकर ट्रैक की मरम्मत कर रहे कर्मचारियों तक किसी के बीच कोई संवाद या संपर्क ही नहीं था. हादसे के कारणों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर नजर डालें तो लगता है कि रेलवे ट्रैक पूरी तरह ‘प्रभु’ भरोसे था. सिग्नल क्लीयर करने के जिम्मेदारान को पटरी पर मरम्मत के काम की कोई सूचना नहीं थी, वहीं रेलवे पथ निरीक्षक की तरफ से साफ साफ नहीं बताया जा रहा है कि उन्होंने मरम्मत के काम की कोई पूर्व सूचना समुचित तौर पर संबंधित अधिकारी या कर्मचारियों को दी थी.
आलम यह था पटरियों पर काम करने वाले कर्मचारियों ने जब अचानक ट्रेन को आते देखा तो उनके होश उड़ गए. वह लाल झंडी लगी छोड़ कर भाग खड़े हुए. जिससे ड्राइवर को एमरजेंसी ब्रेक भी लगाने पड़े. प्रारंभिक रिपोर्ट कहती है कि पूर्ण रूप से यह लापरवाही का मामला है और इसके लिए पथ निरीक्षक जिम्मेदार है. कुछ भी हो ‘प्रभु’ भरोसे छोड़े गए दिल्ली-हरिद्वार रेलवे ट्रैक के कारण दुर्घटना हो गई जिसमें 23 को जान गंवानी पड़ी और करीब 100 लोग घायल हो गए.
हादसे की वजह : हादसे वाली रेल लाइन से शनिवार शाम 4.35 बजे एक ट्रेन गुजरी थी. इसके बाद इंजीनियरिंग विभाग के गैंगमन व लाइन मरम्मत करने वाले कर्मचारियों ने रेल लाइन के लिए मरम्मत का कार्य करना शुरू कर दिया. लाइन मरम्मत के लिए नट-बोल्ट भी खोल लिया था. इनको लगा कि एक घंटे में काम पूरा हो जाएगा. इस बीच बारिश होने लगी और काम पूरा नहीं हो सका. इस बीच कर्मचारियों ने ट्रेन का परिचालन रोकने की मांग की, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि लाइन खुली है. सिविल और यातायात विभाग के कर्मचारियों में यह बात चल रही थी कि उत्कल एक्सप्रेस आ गई.
क्या हुई चूक : यातायात विभाग ने समझा कि मरम्मत का कार्य ट्रेन गुजरने के बाद भी हो सकता है. लिहाजा उन्होंने ब्लाक नहीं दिया. यदि यातायात विभाग ने ब्लाक नहीं दिया और ट्रेन की रफ्तार कम करने को स्टेशन मास्टर को नहीं कहा तो भी सिविल के कर्मचारियों ने ट्रेन को रोकने के 600 मीटर झंडी, बोर्ड या पटाखे का इंतजाम नहीं किया था. कुल मिलाकर दोनों विभागों के बीच गंभीरता को समझने की चूक हुई है.
रिकार्डिग से मिलेंगे सबूत : ट्रेन परिचालन और लाइन मरम्मत के लिए ब्लाक लेने का ब्योरा दिल्ली मंडल के नियंत्रण कक्ष में लगे वायस रिकार्डर सिस्टम से मिल सकता है. रेल संरक्षा आयुक्त की जांच में यह पता चल जाएगा कि रेल लाइन की मरम्मत के लिए कब ब्लाक मांगा गया और उसके लिए क्या स्थिति बताई गई. वास्तव में ट्रेनों को समय से चलाने की चुनौती के बीच लाइन मरम्मत के लिए ट्रैक को ब्लाक करने किया जाता है. यदि केवल मरम्मत का कार्य होता है तो कम समय के लिए मिलता है और ट्रेनों को 15 किमी की गति से पार कराया जाता है.
नहीं मिला आतंकी कनेक्शन : यूपी एटीएस के अधिकारी के अनुसार इसे आतंकी घटना करार नहीं दिया जा सकता. रेल हादसे के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. एडीजी जीआरपी के आदेशों पर खतौली जीआरपी थाने के उपनिरीक्षक अजय सिंह की तहरीर पर आईपीसी की कई धाराओं सहित 304-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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