मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा : ‘काशन बोर्ड’ का संज्ञान नहीं लिया जाना बडी चूक

Last Updated 20 Aug 2017 12:29:38 PM IST

उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के खतौली कस्बे के पास पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटना के कारणों में ‘काशन बोर्ड’ का संज्ञान नहीं लिया जाना एक बड़ी चूक मानी जा रही है.


मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा की तस्वीर

इस दुर्घटना में 23 यात्रियों के मरने की पुष्टि हुई है. हालांकि, एक यात्री के मेरठ अस्पताल में आज सुबह मृत्यु की सूचना मिली है. हादसे में 400 यात्री घायल हुए हैं.
     
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) का दावा है कि दुर्घटनास्थल पर रेल पटरी की मरम्मत का काम चल रहा था. मरम्मत के समय रेलगाड़ियों की रफ्तार उस स्थान पर धीमी हो जाती है, लेकिन कल दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन की रफ्तार 105 किलोमीटर प्रति घंटे बतायी गयी है.
     
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले उसी पटरी से दो रेलगाड़ियां गुजरी थीं, लेकिन उनकी रफ्तार धीमी थी.
     
इस बाबत अपर पुलिस महानिदेशक बी़ क़े मौर्य ने कहा कि पटरी की मरम्मत का कार्य चल रहा था. ट्रेन की रफ्तार धीमी होनी चाहिये थी, लेकिन उसकी स्पीड में कोई कमी नहीं थी. उनका कहना था कि मरम्मत कार्य में लगे रेलकर्मी या तो काशन बोर्ड लगाना भूल गये या ड्राइवर बोर्ड को देख नहीं सका. दोनो ही स्थिति भयावह है और परिणाम सबके सामने है.

मौर्य ने बताया कि दुर्घटना के सम्बन्ध में मुजफ्फरनगर जीआरपी थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी है. मामले की जांच शुरु कर दी गयी है. काशन बोर्ड का संज्ञान नहीं लिया जाना भी जांच के दायरे में है. जांच कर पता लगाया जायेगा कि मरम्मत कर रहे रेलकर्मी काशन बोर्ड लगाना भूल गये थे या चालक ने उसकी अनदेखी की.


    
उन्होंने बताया कि जांच के दायरे में पटरी की स्थिति को भी ध्यान में रखा जायेगा. कई लोगों का कहना है कि पटरी कमजोर थी और उसके फ्रैश्रर होने की वजह से भी यह हादसा हो सकता है. रेल लाइन कस्बे के बीच में होने की वजह से आसपास के घरों और एक स्कूल में दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के डिब्बे घुस गये थे.
    
गौरतलब है कि गत 11 जून को उसी स्थान पर स्कूल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सजगता से बडा रेल हादसा टल गया था. कर्मचारी ने रेल पटरियों में फ्रैश्रर देखा और लाल साडी दिखाकर ट्रेन को रुकवा दिया था. घटनास्थल पर कल से यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है.
    
इस बीच, मंडलीय रेल प्रबंधक ने बताया कि आज देर रात तक रेल यातायात सामान्य होने की संभावना है. उनका कहना था कि रात आठ बजे तक क्षतिग्रस्त पटरियों को ठीक कर लिया जायेगा, लेकिन देर रात तक यातायात सामान्य होने का अनुमान है.

दुर्घटना की जांच जीआरपी के साथ ही रेल संरक्षा आयुक्त भी कर रहे हैं. स्थानीय प्रशासन ने अब तक 20 शवों का पोस्टमार्टम करा दिया है. मृतकों में 13 की पहचान कर ली गयी है. शेष की पहचान करने के प्रयास किये जा रहे हैं.     
     
उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक आश्रितों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद की घोषणा की है जबकि रेलवे ने मृतकों के परिजनों को साढे तीन-तीन लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. उडीसा सरकार ने मृतक आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान कल ही कर दिया था.
     
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने मेरठ मेडिकल कालेज जाकर घायलों के हालात जाने. उन्हें ढांढस बंधाया और उनकी चिकित्सा के बारे में जानकारी हासिल की.     
     
हादसा इतना भीषण था कि  बचाव और राहत कार्य अभी भी जारी है. क्षतिग्रस्त डिब्बों को हटाया जा रहा है. डिब्बों के हटाने के साथ ही पटरियों की मरम्मत का काम किया जा रहा है. 
     
दुर्घटना के थोडी देर बाद ही मेरठ और मुजफ्फरनगर से चिकित्सकों का दल मौके पर पहुंच गया था. रिलीफ ट्रेन मौके पर पहुंच गयी थी. मेरठ मण्डल के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को एलर्ट कर दिया गया था.
     
इस दुर्घटना की वजह से दिल्ली-देहरादून रेलमार्ग बाधित है. रेलगाड़ियों के मार्ग परिवर्तित कर शामली और मुरादाबाद होकर भेजा जा रहा है. शताब्दी समेत कई गाड़ियं रद्द की गयीं हैं. 
 

 

वार्ता


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