दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऋण माफी की मांग को लेकर तमिलनाडु के किसानों ने यूरीन पीकर जताया विरोध
ऋण माफी की मांग को लेकर पिछले एक माह से अधिक समय से दिल्ली को जंतर-मंतर पर धरना दे रहे तमिलनाडु के किसानों ने शनिवार को पेशाब पीकर विरोध प्रदर्शन करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के कारण वे ऐसा नहीं कर सके.
किसानों का अनोखा विरोध प्रदर्शन |
धरना दे रहे किसानों ने एक बाल्टी में मूत्र संग्रह किया और फिर कुछ किसानों ने इसे पीने का प्रयास किया लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. किसानों का कहना था कि कृषि ऋण के कारण उनका सब कुछ उजड़ गया है और उनके पास खाने-पीने को कुछ भी नहीं बचा है जिसके कारण वे पेशाब पीकर विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे.
तमिलनाडु के किसान अपने प्रति जन समर्थन हासिल करने और लोगों का ध्यान आकषिर्त करने के लिए विरोध के तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं. ये अधनंगे किसान मानव खोपडी के साथ धरना दे रहे हैं. एक दिन किसानों ने आधे बाल और मूछें कटाकर विरोध प्रदर्शन किया था तो एक दिन सड़क पर चावल दाल परोस कर उसे खाया. प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने वाले दिन तो कुछ किसान पूरी तरह नग्न हो गये थे.
किसानों ने कहा कि वे ऋण माफी, तमिलनाडु में सूखे के कारण किसानों को हुई क्षति तथा कई अन्य मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पुलिस के साथ टकराव या कानून को हाथ में लेने का उनका कोई इरादा नहीं है.
इस बीच किसानों ने बताया कि द्रमुक के प्रमुख नेता एम के स्टालिन ने उनसे धरना समाप्त कर तमिलनाडु आने का अनुरोध किया है. तमिलनाडु के मुख्यमंी ई के पलानीसामी कल किसानों से बातचीत करने यहां आने वाले हैं. किसानों ने बताया कि मुख्यमंी से बातचीत के बाद ही स्टालिन के अनुरोध पर विचार किया जायेगा.
किसानों ने बताया कि ऋण लेने वाले परिवारों को परेशान किया जा रहा है और उनके साथ ज्यादती की जा रही है जिसके कारण किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि काफी पूंजी और परिश्रम कर किसान अनाज पैदा करते हैं लेकिन उसका मूल्य ऐसे लोग निर्धारित करते हैं जिन्हें खेती का कोई अनुभव नहीं है. ऐसी व्यवस्था के कारण किसानों को भारी नुकसान होता है.
उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों के मूल्य निर्धारण का अधिकार उन्हें ही मिलना चाहिये. उन्होंने कहा कि कावेरी नदी के जल का पर्याप्त हिस्सा तमिलनाडु को मिलना चाहिये जिससे किसान खेती कर बेहतर पैदावार कर सकें और उन्हें आत्महत्या को मजबूर नहीं होना पड़े. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये जिससे 60 ल के बाद किसानों को भी पेंशन मिले.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा द्रमुक और अन्नाद्रमुक के अनेक नेता धरना स्थल पर जाकर किसानों को अपना समर्थन और उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त कर चुके हैं.
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