कमजोर इम्युनिटी वालों को वायरल इंफेक्शंस का खतरा अधिक
मॉनसून पहुंच चुका है और ऐसे में बारिश और नमी के चलते धीरे-धीरे वायरल तथा बैक्टीरियल इंफेक्शंस भी बढ़ रहे हैं।
कमजोर इम्युनिटी वालों को वायरल इंफेक्शंस का खतरा अधिक |
तापमान में अचानक बदलाव के चलते कई बार वायरल इंफेक्शंस काफी संक्रामक होते हैं और तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। आमतौर पर ऐसे में तेज बुखार, गले में दर्द, नाक बहना, छींक आना, खांसी, बदन दर्द, सांस संबंधी एलर्जी और सिरदर्द जैसी समस्याएं आम होती हैं। अन्य सामान्य लक्षणों में कान के संक्रमण, निमोनिया, गैस्ट्रोएंट्राइटिस आदि प्रमुख हैं।
फोर्टसि एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद के डायरेक्टर पल्मोनोलॉजी डॉ रवि शेखर झा का कहना है कि मॉनसून की वजह से लोगों को वातावरण में मौजूद नमी के चलते सांस की तकलीफ बढ़ सकती है जो पहले से ही किसी न किसी किस्म के रोगों के शिकार लोगों की अन्य शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित कर सकती हैं।
यही वजह है कि ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, अनियमित पल्स दर, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं मौसम में बदलाव होने पर अधिक हो जाती हैं। इसलिए पहले से कमजोर इम्युनिटी या लॉन्ग कोविड से प्रभावित लोगों को अपने लाइफस्टाइल पैटर्न और सन संबंधी स्वास्थ्य को लेकर अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।
पहले से बीमार लोगों या फ्लू के लक्षणों वाले लोगों के नज़दीकी संपर्क में आने से बचें : मौसमी रोगों से बचाव में सहायक सावधानियां के बारे में डॉ रवि शेखर झा ने बताया कि पहले से बीमार लोगों या फ्लू के लक्षणों वाले लोगों के नज़दीकी संपर्क में आने से बचें। मास्क पहनें और छींक आने पर नाक ढकें। कोविड वैक्सीनेशन पूर्ण करवाएं।
फ्लू वैक्सीनेशन करवाएं। अपने ब्लड शूगर, ब्लड प्रेशर और कलेस्ट्रॉल स्तरों की जांच करते रहें। यदि बीमार हों तो घर पर रहें क्योंकि वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शंस काफी संक्रामक होते हैं। गंदे हाथों से अपनी आंखों और नाक को छूने से बचें। हाथों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। संतुलित भोजन लें और पर्याप्त नींद लें। किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर अपनी जांच करवाना न भूलें। खुद से दवाएं न लें, डॉक्टर की सलाह लें और अच्छी सेहत से जुड़ी आदतें अपनाएं।
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