गलत आसनों का सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव, जानें किस उम्र में कौन सा आसन है फायदेमंद

Last Updated 27 Apr 2020 12:56:21 PM IST

आसन शास्त्रोक्त विधि–विधान से ही करें‚ व्यायाम के रूप में न करें। अनेक आसनों का और गलत तरीके से आसनों का अभ्यास सेहत के लिए अच्छा नहीं है।


योगासनों में मिलावट या विकृत ढंग से योगासन का अभ्यास सेहत को खराब कर सकता है। उक्त जानकारी देते हुए भारत सरकार आयुष मंत्रालय के बोर्ड़ सदस्य व विशेषज्ञ नेचुरोपैथ ड़ॉ. रवीन्द्र पोरवाल ने बताया कि प्रातः शौचादि से निवृत्त होकर आपकी उम्र‚ शरीर की अवस्था तथा आपकी बीमारियों एवं समस्याओं के निदान के लिए उपयोगी चार से आठ आसनों का अभ्यास एक–एक मिनट तक उचित है।

पोरवाल ने कहा कि शरीर के आंतरिक अंगों जैसे हृदय ‚ लीवर‚ फेफड़़ों‚ गुर्दों‚ आंख‚ कान‚ मस्तिष्क जैसे एक–एक अंग को सशक्त‚ निरोगी बनाने का सहज प्रभावशाली और बिना एक भी पैसा खर्च किए आरोग्य दीर्घ जीव का मूल मंत्र है।

घंटों आसन‚ जिम के व्यायाम‚ प्रचलित पहलवानी वाली एक्सरसाइज‚ भांति–भांति के अन्य व्यायामों को प्रातः एक साथ करना भी निरोगी जीवन के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए आपके शरीर एवं मन–मस्तिष्क की समस्याएं‚ रोगों एवं दोषों को ध्यान में रखकर योग्य गुरु के मार्गदर्शन‚ दिशा निर्देशन में चयनित आसनों को सीखकर स्वतः उनका अभ्यास करना चाहिए। आसन सरल‚ सहज और आसानी से अभ्यास करने वाले हों। अत्यधिक कठिन‚ शरीर को तोड़़–मोड़़ देने वाले या आपकी शारीरिक क्षमता से ज्यादा श्रमसाध्य आसनों से बचें।

साधक को आसन और व्यायाम में फर्क मालूम होना चाहिए। जिस–जिस आसन का अभ्यास करें‚ उसकी शास्त्रोक्त विधि‚ सावधानी और लाभ की पूरी जानकारी अभ्यासी को अवश्य होनी चाहिए क्योंकि यौगिक आसनों को व्यायाम की तरह करना उचित नहीं है।

व्यायाम हमारे शरीर के अंग विशेष‚ शरीर की मांसपेशियों को लचीला और सुदृढ़ बनाते हैं। वहीं‚ योगासन शरीर के अंदरूनी अंगों में एकत्रित विषतत्वों‚ खराब तत्वों को निकालकर बाहर कर देते हैं। कमजोर आंतरिक अंगों को फिर से मजबूत बनाते हैं। शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने और कोशिकाओं के बूढ़े होने की रेट को कम कर देते हैं। फलस्वरूप योगाभ्यासी पचास वर्ष की आयु में भी अपनी उम्र से बहुत कम उम्र का दिखाई देता है। यही नहीं आसनों का प्रभाव मन व मस्तिष्क दोनों पर भी जर्बदस्त रूप से होता है। आत्मविश्वास में कमी‚ ड़र–भय‚ नकारात्मक विचारों से हताश–परेशान‚ नींद में बुरे भयानक सपनों का निरंतर आना कुछ ही दिनों में छू मंतर हो जाता है और एकाग्रता‚ क्रोध नियंत्रण‚ प्रसन्नता‚ आत्मविश्वास में कूट–कूट कर वृद्धि होना‚ मन का प्रसन्न व हल्का–हल्का का अहसास अभ्यासी कुछ दिनों में ही अनुभव करने लगता है।

प्रौढ़ व वृद्धावस्था में उपयोगी आसनः इस अवस्था के लोग मॉनिग वॉक को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं। सीधे खड़े़ होकर घुटनों को सीधा रखते हुए एडि़यां जमीन से उठाकर पैर के पंजे के बल दो मिनट चलना‚ इसी प्रकार एडि़यां जमीन पर हों और पैर के पंजे जमीन से उठाकर दो मिनट चलने से दो किलोमीटर के मॉनिग वॉक से ज्यादा लाभ मिलता है।

एक मिनट कोणासन‚ एक मिनट नौकासन‚ एक मिनट सर्पासन का अभ्यास अत्यंत हितकारी है।

महिलाओं के लिए विशेष योगासनः महिलाएं सौंदर्य समस्याओं और ढलती–बढ़ती उम्र के परिवर्तनों से घबराती हैं। मोटापा‚ मासिक की समस्याएं और श्वेतप्रदर महिलाओं की सेहत के शत्रु हैं। इन सभी समस्याओं‚ मोटापा से स्थायी छुटकारा बिना दवा–बिना उपवास केवल योगासनों से पाने के लिए दो मिनट अश्वचालनासन और दो मिनट हनुमंतासन का प्रातः–सायं अभ्यास करें।

चार मिनट के योग सत्र से वजन घटेगा‚ ढीली त्वचा में कसाव‚ चेहरे पर ग्लो और बालों की समस्याएं जड़़ से मिटेंगी। गर्भासन और नारिसुधा आसन बढ़ी लटकी तोंद‚ जांघों में जमा चर्बी को पिघलाकर मासिक कष्ट व प्रदर रोग का खात्मा करता है। पदचालन और विमानानासन भी युवतियों के लिए वरदान से कम नहीं है।

5 से 14 वर्ष की आयु के उपयोगी आसनः बच्चों में 14 वर्ष की आयु तक शरीर का आंतरिक विकास का दौर होता है। इस उम्र में ऐसे आसनों का चयन करें‚ जो शरीर के आंतरिक अंगों के सशक्त व बेहतर विकास में मदद कर सकें।

शरीर के लिए भुजंगासन‚ धनुरासन‚ उष्ट्रासन‚ ज्यादा नींद से बचने व आत्मविश्वास वृद्धि के लिए वीरासन‚ क्रोध को शांत करके शैतानी को कम करने के लिए चरणासन श्रेष्ठतम आसन हैं। ड़र–भय से बचाव‚ आलस्य–मक्कारी दूर भगाने के लिए विस्तृतपाद सिंहासन का एक मिनट प्रतिदिन अभ्यास एक सप्ताह में ही सद्परिणाम देता है।

16 से 30 आयुवर्ग के लिए उपयोगी आसनः इस आयुवर्ग के विद्यार्थी‚ प्रतियोगी परीक्षा के प्रतिभागी‚ व्यवसाय में कार्यरत युवा होते हैं। भोजन की अनियमितता‚ नींद पूरी न होना‚ पेट साफ न होना‚ पढ़ाई में मन न लगना‚ पढ़कर स्मरण न रख पाना‚ लय न पा पाने की खीज क्रोध समेत विभिन्न समस्याएं पैदा करती हैं। इन्हें दो मिनट तक अश्वचालनासन का अभ्यास एक–एक मांसपेशी अंग को प्रभावित करता है। इससे कमर–पैरों में दर्द‚ आलस्य‚ थकान‚ छूमंतर हो जाती है।

दो मिनट तक पक्षीआसन फेफड़़ों‚ हृदय और लीवर–गुर्दों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। साथ ही नई उमंग‚ नई सोच‚ नए उत्साह के साथ लय हासिल करने के लिए कान्फीडेंस पैदा करता है। दो मिनट का विमानासन घंटों जिम से ज्यादा शरीर को बलिष्ठ‚ ताकतवर बनाकर भूलने की समस्या को समाप्त कर देता है।

ड़ॉ. रवीन्द्र पोरवाल, आयुष मंत्रालय के बोर्ड़ सदस्य//एसएनबी
कानपुर


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