कोविड-19: क्या मलेरिया की दवाई है कोरोना का तोड़, जानें

Last Updated 08 Apr 2020 10:00:23 AM IST

वैज्ञानिकों और ड़ाक्टरों के बीच यह बहस का विषय बन गया है कि मलेरिया और जोड़़ों के दर्द की सस्तीदवा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल की जाए अथवा नहीं।


ड़ाक्टर और हेल्थ वर्कर खुद तो इसका इस्तेमाल कर ही रहे हैं‚व्यक्तियों को भी इसको लेने की सलाह दे रहे हैं। खुराक की मात्रा को लेकर भी ड़ाक्टरों में मतभिन्नता है। प्रति दिन तीन गोली दस दिन तक लेने से लगाकर चार–पांच–सात हफ्ते तक इस दवा को लेने के लिए कहा जा रहा है।

नाक कान गले के विशेषज्ञ ड़ा. बीनू खन्ना कहते हैं कि आज तक कोई वायरस दुनिया से पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है‚रोग प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव के लिहाज से हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन अच्छी दवा है। उन्होंने कहा कि इन दिनों गले में खराश की सामान्य शिकायत पर भी व्यक्ति कोविड़–१९ की शंका करने लग जाता है। वह सात हफ्ते तक उक्त दवा को लेने पर जोर देते हैं।

वहीं हड्ड़ी रोग विशेषज्ञ ड़ा.अनुपम कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि यह दवा जोड़़ों के दर्द की मूल दवा न होकर सहायक दवा रही है और ऐसा भी नहीं है कि इसमें भी सभी रोगियों को इसका फायदा हुआ हो। उन्होंने कहा कि मलेरिया की ही यह प्रचलित दवा है। वह भी कहते हैं कि हफ्ते में एक बार सुबह–शाम 4०० मिलीग्राम दवा की खुराक उपयुक्त है।

ड़ा. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दवा 3-4 हफ्ते ली जा सकती है लेकिन दिल के रोगियों को इस दवा के सेवन करने से बचना चाहिए। वह कहते हैं कि उम्रदराज व्यक्तियों में इस दवा का इस्तेमाल बेहद सावधानी के साथ करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि शायद वीसीसी टीके का भी असर है कि भारतीयों में यह वायरस अब तक वैसा असर नहीं ड़ाल सका है‚जैसा अनुमान लगाया गया था।
सामान्य वर्ग के साथ–साथ ड़ाक्टरों को भी जागरूक करने वाले ड़ा. केके अग्रवाल कहते हैं कि लंबे समय तक ज्यादा दवा लेना नुकसानदेह हो सकता है लेकिन ड़ाक्टर की सलाह से उचित मात्रा में सेवन में कोई हर्ज नहीं है। वह तो यह भी मशविरा देते हैं कि हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन संयुक्त रूप से देने से ज्यादा फायदा हो सकता है।

एजिथ्रोमाइसिन फेफड़़ों के संक्रमण में इस्तेमाल की जाती रही है और कोरोना के रोगियों को फेफड़़ों पर ही असर पड़़ता है। ड़ा. अग्रवाल 2०० मिलीग्राम हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन दिन में तीन बार दस दिन तक और एजिथ्रोमाइसिन 5०० मिलीग्राम एक गोली दस दिन तक लेने की सलाह दे रहे हैं।

मेडि़कल कॉलेज के ड़ीन प्रो. (ड़ा) भरत जैन कहते हैं कि अगर यह सोचकर हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा खाई जा रही है कि कोरोना का संक्रमण नहीं होगा तो यह सेहत के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लीवर को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि चिकनगुनिया के वक्त यह जोड़़ों के दर्द में राहत पहुंचाने के काम अवश्य आई थी। उस लिहाज से देखें तो यह दवा उन व्यक्तियों के लिए ठीक है जो कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं और उसकी कोई दवा नहीं है। वह कहते हैं कि साधारण जुकाम में कोरोना का टेस्ट कराए बिना दवा लिए जाने को वह उचित नहीं मानते।

जीआर मेडि़कल कॉलेज मे मेडि़सिन विभाग के वरिष्ठ ड़ाक्टर जेएस नामधारी कहते हैं कि यह संदिग्ध (ड़ाउटफुल)है कि यह दवा कोरोना के संक्रमण से बचाव करती है। उन्होंने कहा कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि कोविड़–19 के जो संक्रमित व्यक्ति ठीक हुए हैं‚उन्होंने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन ली थी। वह कहते हैं कि यही वजह है कि वह इसके उपयोग की सलाह नहीं देते।

अजय तिवारी/एसएनबी
नई दिल्ली


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