रंग पंचमी : होली के पांच दिन बाद होती है होली की विदाई
रंग पंचमी होली पर्व का अंतिम दिन होता है जो कि होली के ठीक पांचवें दिन चैत्र कृष्ण की पंचमी को मनाया जाता है।
![]() रंग पंचमी : होती है होली की विदाई |
पूरे देश में होली 21 मार्च को खेली गई, लेकिन मध्य भारत के कई हिस्सों में एक खास परंपरा चली आ रही है। होली के ठीक पांचवें दिन चैत्र कृष्ण की पंचमी को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। जिसे कोंकण में शमिगो, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रंग पंचमी के नाम से जानते हैं।
रंग पंचमी को होली का अंतिम दिन यानी विदाई का भी दिन कहते हैं। चैत्र कृष्ण पंचमी को मनाया जाने वाला यह त्योहार खासा प्रचलित है। होली की ही तरह इस दिन भी रंग और गुलाल का प्रयोग होता है। इनके अलावा कई पौराणिक मान्यताएं और परंपराएं भी इस दिन निभाई जाती हैं।
मध्यप्रदेश के मालवांचल के इंदौर और उज्जैन समेत पूरे क्षेत्र में आज रंगपंचमी के उत्सव की धूम दिखाई दी।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सुबह जम कर अबीर-गुलाल से होली खेली गई। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने महाकाल के दरबार पहुंचकर रंगपंचमी का उत्सव मनाया। इस अवसर पर भगवान महाकालेर का विशेष श्रृंगार किया गया।
आइये रंग पंचमी से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलुओं को जानते हैं।
मालवा की रंग पंचमी: मध्यप्रदेश में रंगपंचमी की परंपरा काफी पुरानी है। मालवा वासी रंगपंचमी पर जुलूस निकालते हैं, जिसे गेर कहा जाता है। ये टोलियां सड़क पर निकलती हैं और लोग रंग-गुलाल इनपर डालते हैं। इसमें शस्त्रों का प्रदर्शन काफी महत्व रखता है। इसके साथ ही सड़कों पर युवा वर्ग हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए सबका मन मोह लेते हैं।
मालवा की परंपरा के अनुसार धुलेंडी से ज्यादा उत्साह से लोग रंगपंचमी मनाते हैं। स्थानीय भाषा में इसे गेर कहते हैं। गेर से होने वाले रंगों की बारिश से आसमान सतरंगी हो जाता है।
रंग पंचमी के अलग-अलग रंग: महाराष्ट्र में होली के बाद पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है। यह रंग सामान्य रूप से सूखा गुलाल होता है। राजस्थान में विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों देखते ही बनता है। इस दौरान हवा में लाला नारंगी और फिरोजी रंग उड़ाये जाते हैं।
खास दिन के खास पकवान : इस दिन खास तौर पर पुरणपोली या फिर श्रीखंड-पूरी का आनंद सभी उठाते हैं। महाराष्ट्र में पुरणपोली का खासा महत्व है। कहा जाता है कि मछुआरों की बस्ती में इस दिन सभी एक-दूसरे के घर जाते हैं और शादी की बात भी इस दिन से शुरू होती है।
कई स्थानों पर युवाओं और बच्चों की टोलियां रंग-गुलाल खेलती नजर आईं। सुबह से ही शहर के लोग एक-दूसरे को रंगपंचमी की बधाई देते नजर आए। इस अवसर पर कई सामाजिक संस्थाओं ने होली मिलन समारोह भी आयोजित किया।
रंग पंचमी अनिष्टकारी शक्तियों पर विजय पाने का पर्व कहा जाता है।
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