'मिनी कोलकाता' में तब्दील हुआ दिल्ली का चितरंजन पार्क

Last Updated 25 Sep 2017 03:46:06 PM IST

राजधानी में शारदीय नवरात्र उत्सव के साथ ही सोमवार से पांच दिवसीय दुर्गोत्सव विधि पूर्वक शुरू हुआ. पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की विशालकाय प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का केंद्र हैं.


'मिनी कोलकाता' में तब्दील दिल्ली का चितरंजन पार्क

यहां हर 100 मीटर पर पंडाल दिख रहा है. हर पंडाल की अपनी खासियतें हैं. यहां करीब 9 समितियां हैं जो सीआर यानी चितरंजन पार्क में ही अलग-अलग जगहों पर 42वीं वषर्गांठ मना रही हैं. चितरंजन पार्क में पूर्व संध्या पर भ्रमण करने के बाद ऐसा लगा रहा था कि मानो दिल्ली मिनी बंगाल में तब्दील हो चुकी है. हर कोई शख्स यहां बने पंडालों की ओर मां के विविध स्वरूपों को देखने के लिए आतुर था. हालांकि उत्सव कल से प्रारंभ हो रहा है.

बांग्ला संस्कृति पर जोर: दुर्गा पूजा के आयोजन को ज्यादा से ज्यादा बांग्ला संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया गया है. मां दुर्गा की प्रतिमा व उसकी साज सज्जा भी बंगाल के गांवों में होने वाली साज सज्जा की तरह रखने का प्रयास किया गया है. पंडालों को बनाने के लिए एक महीने पहले काम शुरू हो चुका है. शुरुआत में यहां सिर्फ बंगाली कम्युनिटी के लोग रहते थे, लेकिन अब अन्य कम्युनिटी के लोग भी दुर्गा पूजा में पूरी श्रद्धा से शामिल होते हैं. पूरे एनसीआर से भी लोग यहां के पंडाल को देखने आते हैं. पुलिस की ओर से भी यहां सुरक्षा को लेकर खास तैयारी की जा रही है. समितियों ने सीसीटीवी की व्यवस्था की है. पुलिस ने वॉलंटियर्स की मदद से सुरक्षा को मजबूत किया है.

ईको फ्रेंडली पंडाल: चितरंजन पार्क दुर्गा पूजा समिति (बी ब्लाक) के प्रतिनिधि असीम बनर्जी के अनुसार इस बार पंडालों को भव्य बनाने के साथ ही ईको फ्रेंडली तरीके से तैयार किया गया है. पूरे पंडाल को बनाने में जो मैटीरियल यूज किया गया है वह भी ईको फ्रेंडली है. 41 साल से यहां पंडाल लगाया जा रहा है. इस बार 42वीं वषर्गांठ है. यहां नौ देवियों की मूर्ति बनाई गई है. मां दुर्गा की मूर्ति को इस बार पूरी तरह सफेद बनाया गया है. सफेद थर्मोकॉल और पेपर का इस्तेमाल कर इसकी खूबसूरती को बढ़ाया गया है. मूर्ति डिजाइन करने के लिए कोलकाता से कलाकार आए हुए हैं. करीब 1 महीने से इस मूर्ति को बनाने का काम किया जा रहा है. जिस पार्क में यह पंडाल लगाया जाता है, उसे भी समिति अपने स्तर पर विकसित करती है और पूजा के बाद किसी भी तरह का कचरा नहीं छोड़ती.

स्टेट वाइज थीम: मेला ग्राउंड दुर्गा पूजा समिति का पंडाल सजाने और मां दुर्गा की मूर्ति बनाने का तरीका सबसे अलग है. समिति के सदस्य एके राय ने कहा कि दुर्गापूजा किसी खास कम्यूनिटी और राज्य का त्यौहार नहीं है. हमारा मकसद हर राज्य को इसके साथ जोड़ना है. इसी का ध्यान में रखते हुए पंडाल व मां दुर्गा की मूर्ति को स्टेट थीम पर तैयार किया गया है. इस बार उड़ीसा, मणिपुर थीम है. मां दुर्गा की मूर्ति का पूरी तरह मिट्टी से तैयार किया जाता है. कोशिश रहती है कि इस पर्व को ईको फ्रेंडली रहकर मनाया जाए.

विविध सांस्कृतिक प्रोग्राम: सन समितियों की सामान्य बात यह है कि सभी पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. आयोजन सफल बनाने के लिए पश्चिम बंगाल की युवतियां बंगाली परिधान पहने नृत्य करती हैं. मेला ग्राउंड के आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले बच्चों के बीच पेंटिंग व म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वादन प्रतियोगिता, वाद-विवाद व निबंध प्रतियोगिता को आयोजन किया गया है.

ऐसे होगा पांच दिवसीय उत्सव: दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन फ्लैट दुर्गा पूजा समिति तिमारपुर के अध्यक्ष सजल मित्रा ने कहा कि इस बार स्वच्छ भारत मिशन थीम पर मुख्य द्वार मनाया गया है. उत्सव की शुरुआत सोमवार सायं 5 बजे से 10 बजे तक आनंद मेला. मंगलवार की सुबह बोधन शाम को आगमनी संगीत होगा. बुधवार को सप्तमी पूजा, सायं बेला में जॉली मुखर्जी आधुनिक संगीत पेश करेंगी. बृहस्पतिवार अष्टमी है. रात को 9 से 10 बजे संधि पूजा होगी फिर इंद्रानिल सिंगर रंगारंग प्रस्तुति देंगे.

दशहरा यानी 30 सितम्बर को सुबह सिंदुर का खेला होगा जिसकी शुरुआत सुबह 10 बजे से होगी. इसके उपरान्त यमुनानदी में मूर्ति विसर्जन के लिए बेला घाट के लिए प्रस्थान करेंगे. पांच दिनों सुबह प्रतियोगिता का आयोजन होगा.

 

ज्ञानप्रकाश/सहारा न्यूज ब्यूरो


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