SCO Summit: PM मोदी ने शिखर सम्मेलन को किया संबोधित, आतंकवाद पर दोहरा रुख रखने वालों को घेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में बोलते हुए आतंकवाद को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पहलगाम में हुआ भयावह आतंकवादी हमला न केवल भारत के लिए एक झटका था बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती भी था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की उपस्थिति में मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि एससीओ को आतंकवाद पर ‘‘दोहरे मानदंडों’’ को स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से नकारना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।’’
पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है: ‘‘क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है?’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और कई बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है।’’
#WATCH | "We have to say clearly and unanimously that no double standards are acceptable on terrorism..." says Prime Minister Narendra Modi at the Shanghai Cooperation Council (SCO) Members Session in Tianjin, China
— ANI (@ANI) September 1, 2025
PM Modi says, "... This attack was an open challenge to every… https://t.co/n9LlMc91Kq pic.twitter.com/UtlvwlHo5B
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ को आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा। हमें आतंकवाद के सभी रूपों और रंगों का मिलकर विरोध करना चाहिए।’’
मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद किसी भी राष्ट्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।उन्होंने कहा कि एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा आतंकवाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री ने ‘कनेक्टिविटी’ (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली ‘कनेक्टिविटी’ विश्वास और अर्थ खो देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ सदस्य देश वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए आपसी सहयोग बढ़ा सकते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हम सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान कर सकते हैं।’’
प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ’ के विकास को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश ‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’’ (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है।उन्होंने कहा कि चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है।
इससे पहले स्वागत भोज पर अपने संबोधन में शी ने कहा कि एससीओ पर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं और तेज परिवर्तन की दुनिया में विभिन्न देशों के विकास को बढ़ावा देने की बड़ी जिम्मेदारी है।
शी ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयासों से शिखर सम्मेलन पूर्णतः सफल होगा तथा एससीओ निश्चित रूप से और भी बड़ी भूमिका निभाएगा, सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में अधिक योगदान देगा, ‘ग्लोबल साउथ’ की ताकत को एकजुट करेगा तथा मानव सभ्यता की और अधिक प्रगति को बढ़ावा देगा।
‘ग्लोबल साउथ’ का संदर्भ आर्थिक रूप से कमजोर देशों के समूह के लिए दिया जाता है।
एससीओ की स्थापना जून 2001 में शंघाई में हुई थी और इसमें छह संस्थापक सदस्य थे। अब 26 देश इसका हिस्सा हैं, जिनमें 10 सदस्य, दो पर्यवेक्षक और 14 वार्ता साझेदार शामिल हैं, जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका में फैले हुए हैं।
प्रमुख उभरते बाजारों और चीन, रूस तथा भारत जैसे विकासशील देशों के सदस्यों के साथ, एससीओ विश्व की लगभग आधी आबादी और वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक-चौथाई का प्रतिनिधित्व करता है।
रविवार को तियानजिन में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई।
जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को SCO समिट से पहले फोटो सेशन में हिस्सा लिया। इसके बाद पुतिन और जिनपिंग से मुलाकात की। तीनों नेता एक दूसरे के हाथ पकड़े नजर आए। इस दौरान मोदी ने पुतिन को गले भी लगाया।
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