सिंगापुर में नशीले पदार्थो की तस्करी के दोषी पाए गए भारतीय तमिल मूल के व्यक्ति को बुधवार को फांसी दी गई।
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इस युवक का नाम तांगराजू सुप्पिया था। हालांकि फांसी की सजा को रोकने के लिए उसके परिवार ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया।
जानकारी के मुताबिक तांगराजू के ऊपर नशीली दवाओं के सेवन करने और ड्रग तस्करी की साजिश में शामिल होने का आरोप था। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर से फांसी की सजा टालने की बात कही गई थी लेकिन सिंगापुर प्रशासन ने नहीं सुना और आज सुबह उसको फांसी की सजा दे दी गई।
सुप्पिया को 2013 में मलेशिया से सिंगापुर में 1,017.9 ग्राम भांग की तस्करी की साजिश में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था और 2018 में मौत की सजा सुनाई गई थी।
इससे पहले तांगराजू सुप्पिया ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि वह ड्रग तस्करी में शामिल नहीं था, और ना ही कभी मादक पदार्थों की तस्करी की। लेकिन सुप्पिया इस बात को कोर्ट में साबित नहीं कर पाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बरामद किए गए मोबइल फोन से साबित होता है कि वह तस्करी में शामिल था।
सिंगापुर सरकार ने कहा था कि तांगराजू के जिन मोबाइल नंबरों की मदद से तस्करी करवाई गई थी, वो तांगराजू के ही थे।
कोर्ट के फैसले पर उठे सवाल
तांगराजू सुप्पिया को फांसी दिए जाने से पहले से ही कोर्ट के फैसले पर सवाल उठे थे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भी मंगलवार को सिंगापुर से मौत की सजा पर तत्काल पुर्नविचार करने को कहा था। इसमें कहा गया था कि इस फैसले की समीक्षा की जाए और फांसी की कठोर सजा रोक दी जाए।
बता दें कि सिंगापुर में दुनिया के नशीले पदार्थो को लेकर सबसे सख्त कानून है। यहां की अदालतों ने इन मामलों में 2022 में 11 मौत की सजा सुनाई थी।
इसके साथ ही सिंगापुर की सरकार का कहना है कि मौत की सजा नशीली दवाओं के अपराधों के खिलाफ एक प्रभावी निवारक है और जनता इसका समर्थन करती है। नशीले पदार्थो को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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