विश्व के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई की वकालत की
विश्व के नेताओं ने मंगलवार को ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कड़ी कार्रवाई की वकालत की।
![]() जलवायु सम्मेन को संबोधित करते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक। |
इस साल मिस्र में अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में मांग उठी है कि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां इस धरती को पहुंचाए गए नुकसान के ऐवज में शुल्क अदा करें। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को चेतावनी दी कि मानव जाति तेजी से जलवायु संबंधी संकट की ओर बढ़ रही है। उन्होंने और बारबाडोस के प्रधानमंत्री मियां मोटले जैसे अन्य नेताओं ने कहा कि समय आ गया है कि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां उस कोष में योगदान दें जिससे कमजोर देशों की जलवायु संबंधी नुकसान से निपटने के लिए वित्तीय सहायता देने में मदद की जा सकेगी।
पहली बार ऐसा हुआ है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में प्रतिनिधि विकासशील देशों की इन मांगों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि अमीर, सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश जलवायु परिवर्तन से उन्हें हुए नुकसान के ऐवज में मुआवजा दें। जलवायु वार्ता में इसे ‘नुकसान और क्षतिपूर्ति’ कहा जाता है। अमेरिका में मध्यावधि चुनाव का भी वार्ता पर असर पड़ेगा। अनेक पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में डेमोक्रेटों की हार होने की स्थिति में राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए उनके महत्वाकांक्षी जलवायु एजेंडा को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। सम्मेलन के मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत दुनिया के अनेक नेता शिरकत कर रहे हैं।
पाकिस्तान में बीती गर्मी के मौसम में आई भयावह बाढ़ से कम से कम 40 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। सम्मेलन में भाषणों के बाद प्रतिनिधि विभिन्न विषयों पर मंथन करेंगे जिनमें पहली बार क्षतिपूर्ति पर चर्चा होगी। नाइजीरिया के पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अब्दुल्लाही ने धनवान देशों से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों की मदद के लिए सकारात्मक प्रतिबद्धता जताएं। गरीब देशों के नेताओं ने इस मुद्दे को न्यायपूर्ण बताया है। इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों भी शामिल हैं। तंजानियाई राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने कहा, ‘दुनिया के हमारे हिस्से को जीवन और मौत में से किसी को चुनना होगा।’
मिस्र के जेल में बंद प्रतिष्ठित लोकतंत्र समर्थक नेता अला आब्देल-फतह के भविष्य को लेकर भी सम्मेलन में चर्चा हो रही है। फतह ने लंबे समय से चल रही अपनी भूख हड़ताल तेज कर दी है और उनके परिवार ने दुनिया के नेताओं से उनकी रिहाई में मदद की गुहार लगाई है। अला आब्देल-फतह ने सम्मेलन के पहले दिन रविवार को अपने अनशन को आगे बढ़ाते हुए पानी पीना भी बंद कर दिया। परिवार के मुताबिक उन्होंने कहा कि अगर रिहा नहीं किया गया तो जान दे देंगे। अला आब्देल-फतह की सबसे छोटी बहन साना सैफ अपने भाई तथा जेल में बंद अन्य कार्यकर्ताओं का पक्ष रखने के लिए शर्म-अल-शेख में डेरा डाले हुए हैं। वह एक समारोह में एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्निस कालामार्ड के साथ मिस्र के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर भाषण दे सकती हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि उन्होंने सोमवार को मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल-फतह अल-सीसी के साथ बातचीत में अला आब्देल-फतह के विषय को उठाया था। असंतोष को दबाने के मिस्र के लंबे इतिहास के कारण सीओपी27 नामक इस वाषिर्क सम्मेलन की उसकी मेजबानी पर विवाद खड़ा हो गया है। अनेक अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्यकर्ताओं ने शिकायत की है कि मेजबान देश की पाबंदियां सामाजिक कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए हैं।
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