भारी मात्रा में गैस जला रहा रूस, आर्कटिक की बर्फ पिघलने का बढ़ा खतरा

Last Updated 27 Aug 2022 01:12:57 PM IST

यूक्रेन पर इस वर्ष 24 फरवरी को रूसी हमले के कुछ माह से पाइपलाइन के जरिए प्राकृतिक गैस का निर्यात बंद किये जाने के बाद गैस को बड़े पैमाने पर जलाकर नष्ट करने की रिपोर्ट है और इससे आर्कटिक की बर्फ को गंभीर नुकसान का खतरा है।


भारी मात्रा में अपनी गैस जला रहा रूस

एक स्वतंत्र विश्लेषण के अनुसार, ‘रूस बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस को जला रहा है जिससे आर्कटिक की बर्फ को बड़े पैमाने पर क्षति हो सकती है।’ बीबीसी न्यूज के साथ साझा किए गए विश्लेषण के अनुसार, ‘रिस्टैड एनर्जी ने अध्ययन किया है कि हर दिन लगभग 4.34 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस को जलाया जा रहा है।

सेंट पीटर्सबर्ग के उत्तर-पश्चिम में पोटरेवाया में एक नए तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) संयंत्र से लपटें आ रही हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि गैस पहले जर्मनी को निर्यात की गई होगी। फिनलैंड के साथ सीमा के पास एक संयंत्र हर दिन अनुमानित 10 मिलियन डॉलर मूल्य की गैस जला रहा है।’

वैज्ञानिक बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और इससे पैदा होने वाली कालिख के बारे में चिंतित हैं, जो आर्कटिक की बर्फ के पिघलने को बढ़ा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, सेंट पीटर्सबर्ग के उत्तर-पश्चिम में पोटरेवाया में एक नए तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) संयंत्र से लपटें आ रही हैं।

सीमा के पास फिनलैंड के नागरिकों ने कुछ माह पूर्व सबसे पहले आग की लपटों को देखा था। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पोटरेवाया नॉर्डस्ट्रीम 1 पाइपलाइन की शुरुआत में एक कंप्रेसर स्टेशन के करीब स्थित है, जो समुद्र के नीचे से जर्मनी तक गैस पहुंचाती है।

रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के महीनों बाद जुलाई के मध्य से पाइपलाइन के माध्यम से आपूर्ति बंद कर दी गई है।

शोधकर्ताओं ने लेकिन जून के बाद से संयां से  निकलने वाली ताप  में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। प्रसंस्करण संयंत्रों में गैस जलाना आम बात है और  आमतौर ऐसा तकनीकी या सुरक्षा कारणों से किया जाता है।

आईएएनएस
लंदन


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