रूस ने काला सागर से सेना वापस बुलाई
रूस ने बृहस्पतिवार को काला सागर से अपनी सेना वापस बुला ली, जहां उन्हें यूक्रेन के लगातार हमलों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन पूर्वी प्रांत लुहांस्क में यूक्रेन के आखिरी गढ़ को घेरने के लिए उसने अपना पूरा जोर लगा रखा है जहां उसे यूक्रेनी सैनिकों के प्रतिरोध से जूझना पड़ रहा है।
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रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा, उसने ‘सद्भावना संकेत’ के तौर पर यूक्रेन के काला सागर बंदरगाह ओडेसा के ज़मीयिन (स्नेक) द्वीप से अपनी सेना वापस बुला ली है। मंत्रालय के मुताबिक, सैनिकों की वापसी ने प्रदर्शित किया है कि रूसी संघ यूक्रेन के क्षेत्र से कृषि उत्पादों को बाहर ले जाने के लिए मानवीय गलियारा स्थापित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में बाधा नहीं डाल रहा था।
यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने रूस पर अनाज के निर्यात को रोकने के लिए यूक्रेनी बंदरगाहों को अवरुद्ध कर वैश्विक खाद्य संकट में योगदान करने का आरोप लगाया है। रूस ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि सुरक्षित नौवहन की अनुमति देने के लिए यूक्रेन को काला सागर से समुद्री बारुदी सुरंगों को हटाने की जरूरत है।
रूस ने युद्ध के शुरुआती दिनों में इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था ताकि इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके और ओडेसा पर हमले के लिए इसका एक मंच के रूप में इस्तेमाल हो सके। यूक्रेनी सैनिक लगातार वहां तैनात रूसी सेना पर हमला करते रहे हैं।
इस बीच पूर्वी मोर्चे पर, रूस ने पूरे डोनबास क्षेत्र पर नियंत्रण करने के लिए यूक्रेनी सेना पर अपना दबाव बनाए रखा है। लड़ाई यहां लिसीचांस्क पर केंद्रित हो गई है जो लुहांस्क प्रांत में अंतिम बचा यूक्रेनी गढ़ है। रूसी सैनिकों और उनके अलगाववादी सहयोगियों ने लुहांस्क के 95 प्रतिशत और डोनेट्स्क के लगभग आधे हिस्से को नियंत्रित कर लिया है। यह दो प्रांत डोनबास बनाते हैं जहां अधिकतर रूसी भाषा बोली जाती है।
यूक्रेनी जनरल स्टाफ ने कहा, रूसी सैनिकों ने शहर के किनारे पर एक तेल रिफाइनरी के आसपास लिसीचांस्क पर गोलाबारी की जहां यूक्रेनी सैनिकों के साथ उनका संघर्ष हो रहा है। लुहांस्क के गवर्नर सेरही हैदई ने कहा, रूसी टोही इकाइयों ने बुधवार को लिसीचांस्क में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन यूक्रेनी बलों ने उन्हें खदेड़ दिया। रूसी आपूर्ति करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले राजमार्ग को अवरुद्ध करने और शहर को पूरी तरह से घेरने की कोशिश कर रहे थे।
बृहस्पतिवार को तुर्कमेनिस्तान की यात्रा पर पहुंचे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, युद्ध की शुरुआत के बाद से यूक्रेन में उनके लक्ष्य नहीं बदले हैं। वे डोनबास की मुक्ति, उन लोगों की सुरक्षा और ऐसी परिस्थितियों का निर्माण हैं जो स्वयं रूस की सुरक्षा की गारंटी दें।
उन्होंने यूक्रेन के ‘विसैन्यीकरण’ और ‘नाजीवाद मुक्त’ करने के अपने पहले घोषित लक्ष्यों का कोई उल्लेख नहीं किया। उन्होंने इनकार किया कि संघर्ष के शुरुआती चरण में कीव पर कब्जा करने में विफल रहने के बाद रूस ने अपनी रणनीति को समायोजित किया था।
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