अफगान संकट पर चर्चा करेंगे पाकिस्तान, चीन, रूस और अमेरिका

Last Updated 01 Aug 2021 12:50:24 AM IST

पड़ोसी देश अफगानिस्तान में बढ़ते खूनखराबे के बीच पाकिस्तान, चीन, रूस और अमेरिका 11 अगस्त को दोहा में बैठक करेंगे।


अफगान संकट पर चर्चा करेंगे पाकिस्तान, चीन, रूस और अमेरिका

बैठक के दौरान अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की जाएगी और हिमालयी दक्षिण एशियाई राष्ट्र को एक और गृहयुद्ध में डूबने से रोकने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

दोहा में इस ट्रोइका प्लस बैठक का बहुत महत्व है, क्योंकि अमेरिका और नाटो बलों की वापसी की शुरूआत के बाद से अफगान तालिबान के सदस्य घुसपैठ कर रहे हैं और उन्होंने अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों पर अपना नियंत्रण भी स्थापित कर लिया है।

जब से विदेशी सेना अफगानिस्तान से बाहर निकलने लगी है, अशरफ गनी सरकार को अफगान तालिबान के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, जो देश के कई जिलों और प्रांतों पर नियंत्रण का दावा कर रहे हैं।



तालिबान के हमले ने सभी महत्वपूर्ण अंतर-अफगान वार्ता को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है, क्योंकि इस प्रक्रिया में कोई बड़ी प्रगति नहीं देखी गई है।

ट्रोइका प्लस की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के खिलाफ गंभीर चिंता के बावजूद अमेरिका अफगानिस्तान की स्थिति पर चीन और रूस को शामिल करने का इच्छुक है।

यह उल्लेख करना उचित है कि रूस और चीन दोनों ने अफगानिस्तान में शांति लाने में विफल रहने के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया है। इन्होंने जल्दबाजी में वापसी का विकल्प चुनने के लिए अमेरिका की कड़ी आलोचना की है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अफगानिस्तान में काम करने के लिए अमेरिकी सेना को अपने जमीनी ठिकाने या हवाई क्षेत्र उपलब्ध नहीं कराएगा। इस्लामाबाद ने यह भी कहा है कि देश अफगानिस्तान में भविष्य के किसी भी संघर्ष का हिस्सा नहीं होगा।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ देश अच्छे संबंध बनाने के लिए तैयार है।

इमरान खान ने कहा, हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक सैन्य विकल्प से कम सब कुछ करेंगे कि अफगानिस्तान की स्थिति सामान्य हो और एक समावेशी सरकार बने। हम अब किसी भी संघर्ष का हिस्सा नहीं होंगे।

खान ने अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी की भी आलोचना की है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका ने इसे गड़बड़ कर दिया है और अमेरिका अब पड़ोसी देशों के साथ बैठक कर एक समाधान प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। इसने यह भी स्पष्ट किया है कि वह 20 साल तक अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को प्राप्त करने में विफल रहा है।

हाल की बैठक में, चीन और पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। इनमें एक शिनजियांग में चीनी मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहा है और दूसरा पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन है।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद हाफिज चौधरी ने कहा, पाकिस्तान दोहा में ट्रोइका प्लस बैठक की प्रतीक्षा कर रहा है। बैठक अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेगी।

जबकि अफगानिस्तान में एक संघर्ष के फिर से उभरने की तरह प्रतीत होने वाले समाधान को खोजने के लिए अब ये देश एक साथ आने की योजना बना रहे हैं। वहीं तालिबान का दावा है कि उसने अफगानिस्तान के कम से कम 85 प्रतिशत क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है, जिसमें ईरान, चीन, पाकिस्तान, ताजकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ लगने वाले महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्र शामिल हैं।

आईएएनएस
इस्लामाबाद


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment