म्यांमार की सेना तख्तापलट के विरोध से ‘‘सकते में’’ है: संयुक्त राष्ट्र दूत

Last Updated 04 Mar 2021 03:36:41 PM IST

म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने कहा कि म्यांमा में सत्ता हथियाने वाले जनरलों ने संकेत दिया है कि वे नए प्रतिबंधों से डरते नहीं हैं, लेकिन सैन्य शासन कायम करने की उनकी योजना को लेकर देश में हो रहे विरोध से वे ‘‘सकते में’’ हैं।


म्यांमा में सेना तख्तापलट का विरोध

बर्गनर ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि एक फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद उन्होंने म्यांमार की सेना को चेतावनी दी थी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विश्वभर के देश ‘‘कड़े कदम उठा सकते’’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ उनका जवाब था कि हमारे लिए प्रतिबंध नई बात नहीं है, हमने पहले भी ऐसे प्रतिबंध झेले हैं।’’

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सेना को चेतावनी दी कि म्यांमार अलग-थलग पड़ जाएगा, तो ‘‘उनका जवाब था कि हमें कुछेक मित्रों के साथ ही चलना सीखना होगा’’।

बर्गनर ने कहा कि तख्तापलट के खिलाफ विरोध का नेतृत्व युवा कर रहे हैं, जो पिछले 10 साल से आजाद माहौल में रह रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘वे संगठित और प्रतिबद्ध हैं, वे तानशाही नहीं चाहते और न ही अलग-थलग होना चाहते हैं।’’

बर्गनर ने कहा, ‘‘सेना ने मुझे अपनी योजना बताई थी कि वे लोगों को डराएंगे, उन्हें गिरफ्तार करेंगे और फिर अधिकतर लोग डर कर घर चले जाएंगे। इसके बाद फिर से सेना का नियंत्रण होगा और लोग हालात के आदी हो जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि तख्तापलट को लेकर हो रहे विरोध से सेना सकते में है।

बर्गनर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सेना सकते में हैं, क्योंकि इस बार उसकी योजना सफल नहीं हुई, जबकि 1988, 2007 और 2008 में अतीत में वह सफल रही थी।’’

गौरतलब है कि म्यांमा में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट कर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। सेना का कहना है कि देश में आंग सान सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रही।

एपी
संयुक्त राष्ट्र


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