’अक्षम‘ अंग बन गई है सुरक्षा परिषद : भारत
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद में लंबे समय से अटके सुधार के लिए ‘निर्णायक आंदोलन’ के लिए सही समय होने का जिक्र करते हुए कहा कि मुट्ठी भर देश अंतरसरकारी वार्ताओं (आईजीएन) का इस्तेमाल ‘गुमराह’ करने के लिये कर रहे हैं और ‘अक्षम’ बन चुकी सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया को रोक रहे हैं।
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने ‘समान प्रतिनिधित्व और सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के सवाल’ पर कहा कि आईजीएन में एक दशक से भी ज्यादा समय होने के बावजूद बात आगे नहीं बढ़ी, सिवाय सुधारों की आवश्यकता पर बयानबाजी के।
तिरुमूर्ति ने सोमवार को कहा, ‘आज सुरक्षा परिषद एक अक्षम अंग है। वह विश्वसनीय तरीके से कार्रवाई करने में समर्थ नहीं है, खास तौर पर अपनी गैरप्रतिनिधित्व प्रकृति के कारण। लेकिन तब, आईजीएन प्रक्रिया के अंतर्गत क्या हो रहा है, जिससे हम बंधे हुए हैं?’ समझौते के एक भी मसौदे के नहीं होने को लेकर आलोचना करते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि आईजीएन ‘संयुक्त राष्ट्र में संप्रभु राष्ट्रों की सदस्यता वाले गंभीर नतीजा केंद्रित प्रक्रिया के बजाय विश्वविद्यालय में बहस के मंच सरीखा बन गया है।’ उन्होंने कहा, ‘और हम इस गतिरोध तक कैसे पहुंचे? क्योंकि कुछ मुट्ठी भर देश हमें आगे नहीं बढने देना चाहते। उन्होंने आईजीएन को प्रगति करने से रोका है।
वे सुरक्षा परिषद में सुधार के मामले में सिर्फ मौखिक सेवा देने के अपने काम को छिपाने के लिये आईजीएन का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ तिरुमूर्ति ने कहा, ‘वे जो शत्रें रख रहे हैं उन्हें पूरा करना नामुमकिन है- जिस पर सभी सदस्य राष्ट्र सर्वसम्मत हैं। दुर्भाग्य से यह ऐसे समय हो रहा है जब हम पिछले हफ्ते खुद को ई-मतदान अधिकार देने की हड़बड़ी में थे। लेकिन आईजीएन के लिये ई-मतदान की तो बात छोड़िए वे मतदान भी नहीं चाहते, सिर्फ पूर्ण सर्वसम्मति चाहते हैं।’ तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए निर्णायक आंदोलन की जरूरत पर बल दिया।
भारत का जिक्र आते ही ‘बौखला’ जाता है पाक
संयुक्त राष्ट्र में ‘अप्रासंगिक और गैरजिम्मेदाराना’ टिप्पणी के लिये भारत ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि महासभा ओछे आरोपों के बजाय गंभीर चर्चा का मंच है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने सोमवार को ‘समान प्रतिनिधित्व के सवाल और सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या में बढोतरी’ के मुद्दे पर संबोधन में यह बात कही। संरा में पाकिस्तानी दूत मुनीर अकरम ने अपने संबोधन में भारत की संरा सुरक्षा परिषद की सदस्यता का विरोध करते हुए नियंत्रण रेखा का संदर्भ दिया था। भारतीय दूत ने कहा, ‘मैं पाकिस्तानी प्रतिनिधि द्वारा की गई अप्रासंगिक और गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी का जवाब देकर इस सभा का समय बर्बाद नहीं करना चाहता। जब भी भारत का उल्लेख होता है वह ‘बौखला’ जाता है।’’
भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान की स्वत: प्रतिक्रिया या पूर्व की प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में यह बात कही। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘यह गंभीर चर्चा का मंच है, न कि ओछे आरोपों के लिए।’ फिलहाल संरा सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य राष्ट्र हैं। अस्थायी सदस्यों को संरा महासभा द्वारा दो वर्ष की अवधि के लिये चुना जाता है। पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं और ये देश किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार रखते हैं। समसामयिक वैश्विक हकीकतों को परिलक्षित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।
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