एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर नहीं हो पाया पाकिस्तान

Last Updated 23 Oct 2020 11:52:04 PM IST

पाकिस्तान को शुक्रवार को एक और बड़ा झटका लगा है। वह विश्व के शीर्ष आतंकवाद रोधी निगरानी समूह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर होने में विफल रहा है।


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान

इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार पेरिस स्थित एफएटीएफ की आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है, इसलिए पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही बनाए रखने का फैसला लिया गया है।

पहले से ही गंभीर आर्थिक और वित्तीय संकट से जूझ रहा पाकिस्तान 2018 से ग्रे लिस्ट में बना हुआ है।

ग्रे सूची में होने के कारण पहले से ही कर्ज में डूबे इस्लामिक रिपब्लिक को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।

भारत कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से परोसा जा रहा सीमा पार आतंकवाद और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड और योजनाकारों के खिलाफ निष्क्रियता के खिलाफ लगातार विरोध जताता रहा है।

प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन और उनके प्रमुख हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैयद सलाहुद्दीन को पाकिस्तान में संरक्षण प्राप्त है।

इस साल की शुरूआत में जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में अल कायदा और तालिबान के साथ सहयोग कर रहे हैं।

भारत ने गुरुवार को दृढ़ता से सिफारिश की थी कि पाकिस्तान, जो प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह देना जारी रखता है, उसे ग्रे सूची में ही रखा जाना चाहिए।

शुक्रवार को अपने तीन दिवसीय वर्चुअल पूर्ण सत्र के समापन के बाद, एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखने का फैसला किया।

सूत्रों ने कहा कि आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान के लिए जो 27 मापदंड तय किए गए थे, उनका पालन करने में वह विफल रहा है।

आईएएनएस
नई दिल्ली/पेरिस


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