अफगानिस्तान में अपने सैनिक घटाकर 8600 करेगा अमेरिका
तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिए बाध्य नहीं है।
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युद्ध प्रभावित रहे अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए अपने प्रयासों और तालिबान के साथ समझौते पर किए गए हस्ताक्षर के तहत अमेरिका अफगानिस्तान में अपने बलों की संख्या शुरू में ही घटाकर 8,600 सैनिकों तक करने के लिए प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान में अभी करीब 13,000 अमेरिकी सैनिक हैं। यह वह स्तर है जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर, जनरल स्कॉट्स मिलर ने उनके मिशन को पूरा करने के लिये आवश्यक बताया था।
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, जवानों की वापसी और समझौता एक समानांतर प्रक्रिया है। विदेशमंत्री माइक पोम्पिओ और भारत समेत कई अन्य विदेशी राजनयिकों की मौजूदगी में अमेरिका ने दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। अधिकारी ने कहा, हमारी वापसी इस समझौते से जुड़ी है और शतरें पर आधारित है। अगर राजनीतिक समझौता विफल होता है, अगर वार्ता नाकाम होती है तो ऐसी कोई बात नहीं है कि अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए बाध्य है। अधिकारी ने कहा, यह कहने की बात नहीं है कि राष्ट्रपति के पास अमेरिका के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह कोई भी फैसला कर सकते हैं जो उन्हें हमारे राष्ट्रपति के तौर पर उचित लगता है, लेकिन अफगान पक्ष अगर किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहते हैं या तालिबान समझौते की वार्ता के दौरान बुरा इरादा दिखाता है तो अमेरिका पर कोई बाध्यता नहीं है कि वह अपने सैनिकों को वापस बुलाए।
सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा, सैनिकों की वापसी तत्काल नहीं होगी। सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करना शुरुआती समझौते का हिस्सा है और यह कुछ महीनों में होगा। अधिकारी ने कहा, यह तत्काल नहीं हो जाएगा। इसे अमल में लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। लेकिन यह मौके पर मौजूद कमांडर की अनुशंसा है, राष्ट्रपति का इरादा है और यह एक समझौता है।सैनिकों की वापसी पर काम करने का अमेरिकी इरादा समझौते में व्यक्त प्रतिबद्धता के मुताबिक तालिबान की कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें व्यापक आतंकवाद निरोधक प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं क्योंकि यह अमेरिका की प्राथमिक चिंता है..।
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