कश्मीर पर भारत, पाकिस्तान के सिवा तीसरा न करे हस्तक्षेप: मैक्रों

Last Updated 23 Aug 2019 11:26:42 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आमने-सामने हुई लंबी बातचीत के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय तरीके से हल करना चाहिए और किसी भी तीसरे पक्ष को क्षेत्र में न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही वहां हिंसा को उकसाना चाहिए।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों

सैतो दे सैनिली में बृहस्पतिवार को 90 मिनट से अधिक समय की आमने सामने हुई मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए गतिशील और बहुआयामी संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की।    

इस मुलाकात के बाद प्रतिनिधि स्तर की वार्ताएं हुईं और फिर दोनों देशों ने चार सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए।    

वार्ता के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें जम्मू कश्मीर पर भारत द्वारा हाल ही में लिए गए निर्णय के बारे में बताया और कहा कि यह उनकी संप्रभुता के दायरे में है।     

मैक्रों ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें कहा कि भारत और पाकिस्तान को ही इस मुद्दे का द्विपक्षीय तरीके से हल निकालना चाहिए और किसी भी तीसरे पक्ष को न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही क्षेत्र में हिंसा को उकसाना चाहिए।’’    

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि जमीनी हालात को बिगड़ने से रोकना भारत और पाकिस्तान दोनों की जिम्मेदारी है क्योंकि इससे तनाव बढ़ सकता है।     

गौरतलब है कि भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान पांच अगस्त को रद्द कर प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था।      

मैक्रों ने कहा कि फ्रांस यह सुनिश्चित करेगा कि ‘संघर्षविराम रेखा के दोनों ओर के क्षेत्रों में आम नागरिकों के हितों और अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाए।’’      

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति बनाए रखनी चाहिए और लोगों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।     

फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं कुछ दिनों बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (इमरान खान) से बात करूंगा और उनसे कहूंगा कि वार्ता द्विपक्षीय होनी चाहिए।’’     

उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांस अगले महीने भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से पहला विमान भेजेगा।     

मैक्रों के बाद, मोदी ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच संबंध किसी स्वार्थ पर नहीं, बल्कि ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ के मजबूत विचारों पर आधारित हैं।     

उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस आतंकवाद रोधी अभियानों और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे।

मोदी ने कश्मीर पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की लेकिन कट्टरता के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि भारत को सीमा पार से आतंकवाद से निपटने में फ्रांस का मूल्यवान समर्थन मिला है।     

उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों देश लगातार आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। हम राष्ट्रपति मैक्रों का उस मूल्यवान समर्थन के लिए धन्यवाद करते हैं जो सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए फ्रांस ने दिया है। हम आतंकवाद के खिलाफ और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।’’     

उन्होंने कहा कि फ्रांस और भारत जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और प्रौद्योगिकी समावेशी विकास की चुनौतियों से मिलकर लड़ने के लिए एकजुट हैं।     

मोदी ने रक्षा सहयोग को फ्रांस के साथ संबंधों का महत्वपूर्ण स्तम्भ बताया और कहा कि भारत को पहला फ्रांसीसी लड़ाकू विमान अगले महीने मिल जाएगा।    

वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने फ्रांस और भारत में आतंकवाद संबंधी घटनाओं और सीमा पार आतंकवाद समेत हर प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा की।    

बयान में कहा गया, ‘‘ नेताओं ने फिर कहा कि आतंकवाद को किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता और इसका किसी धर्म, पंथ, राष्ट्रीयता और जातीयता से कोई संबंध नहीं होना चाहिए।’’     

दोनों नेताओं ने जनवरी 2016 में दोनों देशों द्वारा पारित आतंकवाद पर संयुक्त बयान को याद करते हुए आतंकवाद समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता मजबूती से दोहराई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद का वित्त पोषण रोकने के प्रयास मजबूत करने की अपील की।     

बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों नेताओं ने विश्वभर में आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए भारत द्वारा प्रस्तावित वैश्विक सम्मेलन के शीघ्र आयोजन की दिशा में काम करने पर सहमति जताई।’’     

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों से अपील की कि वे यूएनएससी प्रस्ताव 1267 और आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित करने वाले अन्य प्रासंगिक प्रस्तावों को लागू करें। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अंगीकार करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई।     

दोनों नेताओं ने रक्षा औद्योगिक सहयोग को भारत और फ्रांस के बीच सामरिक साझेदारी के मुख्य आधारों में से एक बताया।

उन्होंने इस क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई।     

महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए 2018 में दोनों पक्षों के बीच हुए ‘इंडस्ट्रियल वे फॉर्वड एग्रीमेंट’ के बाद से एनपीसीआई और ईडीएफ के बीच वार्ता की दिशा में हुई प्रगति पर दोनों नेताओं ने संतोष जताया।     

दोनों देशों ने यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने की महत्ता भी दोहराई।     

बयान के अनुसार, फ्रांस और भारत ने इस बात पर भी सहमति जताई कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त समग्र कार्य योजना और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2231 का पूरी तरह पालन करना आवश्यक है।

भाषा
सैनिली (फ्रांस)


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