चीन ने फिर किया पाकिस्तान का बचाव, कहा- आतंकवाद का मुकाबला करने में अच्छा कार्य किया

Last Updated 26 Oct 2017 05:35:01 PM IST

देश से आतंकवादी संगठनों का सफाया करने के लिए पर्याप्त कदम ना उठाने पर भारत और अमेरिका की आलोचना झेल रहे पाकिस्तान के बचाव में चीन एक बार फिर आगे आया है और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए इस्लामाबाद के प्रयासों की सराहना की है.


चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग (फाइल फोटो)

भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान को अपनी जमीन पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा जिसके एक दिन बाद चीन ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान ने अच्छा कार्य किया है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "पाकिस्तान आतंकवाद का मुकाबला करने में सबसे आगे रहा है. कई वर्षो से पाकिस्तान ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सकारात्मक प्रयास और त्याग किए हैं."

इससे पहले जब भी आंतकवाद को रोकने में नाकाम रहने के लिए इस्लामाबाद की आलोचना की गई, चीन उसके बचाव में आगे आता रहा है.

गेंग ने कहा, "हम मानते है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान द्वार किए गए प्रयासों की सराहना करनी चाहिए."

भारत के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और सुषमा स्वराज ने बुधवार को मीडिया से कहा कि नई दिल्ली और वाशिंगटन का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई अफगानिस्तान नीति केवल तभी प्रभावी होगी, जब पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.



टिलरसन पाकिस्तान के दौरे के बाद भारत आए थे. उन्होंने इस्लामाबाद में कहा था कि पाकिस्तान को देश में कार्यरत आतंकवादियों और उनके ठिकानों को खत्म करने के प्रयासों को बढ़ाना चाहिए.

टिलरसन के पाकिस्तान दौरे पर गेंग ने कहा, "चीन आतंकवाद विरोधी सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन करता है."

अपने मित्र पाकिस्तान के प्रति चीन का झुकाव नई दिल्ली और बीजिंग के संबंधों पर दबाव डालता रहा है.

चीन ने पिछले वर्ष भारतीय सेना शिविर पर हुए एक घातक हमले के मास्टरमाइंड और पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रयास को नाकाम कर दिया था. बीजिंग ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए और उसका समर्थन करते हुए दोनों देशों के परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर ना करने के मुद्दे पर एक स्तर पर लाते हुए हर बार भारत के एनएसजी सदस्य बनने की राह में हमेशा रोड़े डाले हैं.

 

 

आईएएनएस


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