Navratri 2023 Day 4th Puja: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, देवी को लगाएं ये भोग, दुख-दोष होगा दूर

Last Updated 18 Oct 2023 11:48:04 AM IST

नवरात्रि के मां के चौथे स्वरूप को मंद मुस्कान वाली अष्टभुजा वाली देवी कुष्मांडा कहते हैं। कुष्मांडा देवी बल बुद्धि और विद्या को प्रदान करने वाली है, इनकी श्रद्धा भाव से जो आराधना करता है उसको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।


शारदीय नवरात्र : चतुर्थ कूष्माण्डा

दीन दुखियों के दुख दर्द दूर हो जाते हैं, जिनका व्यापार नहीं चलता उनका व्यापार चलने लग जाता है, परिवार में अभी घर में कलह क्लेश है तो ग्रह कलेश दूर हो जाता है।

इस दिन बड़ी श्रद्धा और भाव के साथ में रोली मोली अक्षत और पुष्प से और फूल माला और फल से मां की पूजा की जाती है विशेषतह मां को कुमड़ा यानी कद्दू का भोग लगाया जाता है और मां से प्रार्थना की जाती है। इसका एक बीज मंत्र है -

ॐ ऐंग क्लींग चामुंडायै विच्चे नमः

इस मंत्र का 108 बार जाप करेंऔर मां को कुमड़ा से बनी हुई वस्तु का भोग लगाए और साथ मे लॉन्ग और कपूर जलाकर उनकी आहुति करें थोड़ा उसको घी में भिगो करके और आहुति दें। ऐसा करने से आपके व्यापार में कारोबार में वृद्धि होती है।

यदि आपकी संतान नहीं है और संतान की इच्छा रखते हैं  वो  एक लाल वस्त्र ले लें, उसमें थोड़ी काली सरसों रखें और अपने सिंगारा का जो सिंदूर है वह रखकर के और मां के सामने अर्पित करें, और बोले-

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इसको जो है आप 11 बार बोलते हैं, तो मां कुष्मांडा आपके मन वांछित फल देने वाली है, इसलिए बड़े भाव के साथ में मां की आराधना करें।

इस दिन मां कुष्मांडा की आराधना करते हैं। पीले रंग उनको बहुत प्रिय है, पीले रंग के वस्त्र पहनकर के मां की पूजा करें या हरा रंग भी आप धारण कर सकते हैं और पीले पुष्प मां को अर्पित करने चाहिए तो मां प्रसन्न होती है और आपको धन से समृद्ध बनाता हैं।

प्रातः काल उठकर स्नान करने के पश्चात में अपने घर को पवित्र करें और गंगाजल और जल छिड़क करके शुद्ध करें उसके पश्चात मां के चौथे स्वरूप कूष्मांडा के निमित्त सारी सामग्रियां एकत्रित करें, जैसे- रोली,मॉली ,अक्षत पुष्प ,धूप दीप नैवेद्य और फल और मिष्ठान निर्मित में आप कुंभ राशि से बनी हुई वस्तुओं का भोग लगाएं। उसके बाद में मां की स्तुति करें-

"या देवी सर्वभूतेषुकष्ट रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः

"या देवी सर्वभूतेषु भक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः

और कहें मन में हम आपकी शरण में हैं हमारी सारी मनोकामनाएं पूरी करें और हम यह जो पूजा आपको अर्पित कर रहे इसे आप ग्रहण करें और इसमें आपको पाठ करना चाहिए अर्गला कवच कील कवच और दिव्य कवच का पाठ करें और उसके बाद में तिलक स्तोत्र का भी बात आप कर सकते हैं इससे मां प्रसन्न होती है और आपको लाभ मिलता है।

पी के शास्त्री


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