Radha Ashtami 2023: राधाष्टमी का सनातन धर्म में है विशेष महत्व, जानिए सही समय और विधि

Last Updated 22 Sep 2023 05:08:25 PM IST

सनातन धर्म मे भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है ।शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है।


Radha Ashtami

Radha Ashtami 2023: सनातन धर्म मे भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है ।शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं। जन्माष्टमी के ठीक पंद्रह दिन बाद राधाष्टमी मनायी जाती है । मान्यता है कि राधा अष्टमी की पूजा और व्रत के बिना जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण नहीं होता है।

 

राधाष्टमी के व्रत से कृष्ण होते हैं प्रसन्न

सनातन परंपरा में श्री राधा जी को भगवान श्री कृष्ण की शक्ति माना गया है, जिनके बगैर न सिर्फ वो अधूरे हैं बल्कि उनके भक्तों की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। राधाष्टमी का व्रत करने से श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होते है और मनचाहा वरदान देते हैं । मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा जी की पूजा करने पर सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है,जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

Radha Ashtami 2023: भाद्रपद माह की शुक्ल अष्टमी तिथि आरंभ: 22 सितंबर, दिन शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 35 मिनट  पर होगा।
लेकिन उदय तिथि के अनुसार राधाष्टमी 23 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 बजे से शुरू होकर 01:26 तक रहेगा। इस अवसर विधि विधान से श्री राधा रानी की पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण भी प्रसन्न होंगे, जिससे घर में सुख समृद्धि का आगमन होगा और मनचाहे फल की प्राप्ति होगी।

 

घर परिवार में सुख समृद्धि का आगमन

शस्त्रों के अनुसार श्री राधा कृष्ण की विधि विधान से पूजा करने और श्री कृष्ण जन्माष्टमी और राधा अष्टमी पर व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर परिवार में सुख समृद्धि का आगमन होता है।

इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान कृष्ण के साथ माता राधा को नए वस्त्रों से सजाये । राधा-रानी का खूबसूरत श्रृंगार किया जाएं। राधा-कृष्ण के मंदिर को भी फूलों से सजाएं। वहां रंगोली बनाएं। राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए कृष्ण भक्ति के गीत गाएं। राधा रानी और कृष्ण का फूलों के रस, फलों के रस, पंचामृत से अभिषेक करें।
पूजा विधि:

 

ॐ वृषभानुज्यै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात है विशेष मंत्र

Radha Ashtami 2023: राधाष्टमी का व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को सुबह ब्रह्ममुहूर्त मे उठकर स्नान कर्ना चाहिए । साफ पीले वस्त्रों को धारण करना चाहिए । इसके बाद सूर्य को अर्ध्य देने के बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए । पहले राधा रानी को पंचामृत से स्नान कराएं फिर उन्हें गोपी चंदन लगाएं। इसके पश्चात् शुद्ध जल से भी श्री राधा रानी का अभिषेक करें और श्रृंगार करें। श्री राधा रानी को सुंदर वस्त्र धारण कराएं और नए आभूषण भी पहनाएं।

 

श्री कृष्ण संग युगल आरती करना न भूलें

श्री राधा रानी को वैजयंती माला चढ़ाएं। गेंदे की माला भी चढ़ा सकते हैं। तत्पश्चात उन्हें फल, मिठाई और विशेष रूप से कृष्ण प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। हिंदू मान्यतानुसार राधा रानी और श्री कृष्ण एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। इस दिन राधा चालीसा का पाठ करें और ‘राधाकृपाकटाक्ष’ स्तोत्र का पाठ भी करें। इस दिन राधा अष्टमी के लिए राधा गायत्री मंत्र – ॐ वृषभानुज्यै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात !! का जाप करे।
आखिर मे राधा रानी की श्री कृष्ण संग युगल आरती अवश्य गाएं। फिर भोग प्रसाद को पूरे परिवार मे वितरण करें।

 

अर्चना श्री
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment