Mahalaxmi vrat puja samagri: इन पूजन सामग्री के साथ करें महालक्ष्मी की पूजा, धन-धान्य से भर देंगी झोली

Last Updated 19 Sep 2023 02:13:31 PM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो जाता है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है।


हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो जाता है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित ये व्रत 16 दिन के होते हैं। महालक्ष्मी व्रत, गणेश चतुर्थी के चार दिन पश्चात् आता है। तिथियों के घटने-बढ़ने के आधार पर उपवास की अवधि पन्द्रह दिन अथवा सत्रह हो सकती है। इस व्रत का पालन धन व समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये किया जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी राधा रानी की जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। देवी राधा रानी जयन्ती को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। जिस दिन महालक्ष्मी व्रत आरम्भ होता है, वह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन दूर्वा अष्टमी व्रत भी होता है। दूर्वा अष्टमी पर दूर्वा घास की पूजा की जाती है। इस दिन को ज्येष्ठ देवी पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके अन्तर्गत निरन्तर त्रिदिवसीय देवी पूजन किया जाता है। इस साल महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर 2023 से शुरु हैं जो 6 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे।

Mahalaxmi vrat puja samagri in hindi
जल कलश  
नारियल
मौली  
दीपक  
चौकी
लाल वस्त्र
दो कुश के आसन
फूलों की माला   
लाजा (खील)
बताशे   
पंच मिष्ठान
वस्त्र
आभूषण  
चंदन  
लाल चंदन  
सिंदूर
लाल फूल
पुष्प  
अक्षत
सुपारी
पान का पत्ता  
दूर्वा
इलायची
लौंग  
कुमकुम  
केसर
कपूर  
हल्दी   
चूने का लेप  
केला का पत्ता
आम के पत्ते
सरसों का तेल
धूप
धूपबत्ती
अगरबत्ती
गंगा जल
श्रीफल
शुद्ध देशी घी
गाय का कच्चा दूध
पवित्र जल  
रुई – Rui
पंचमेवा  
दही
शहद
रोली
इत्र  
फल  
दक्षिणा  
पूजा के बर्तन  
माचिस
नैवेद्य
तांबे का कलश  
आरती की थाली
बैठने के लिये आसऩ
श्री गज लक्ष्मी का चित्र  
16 श्रृंगार का सामान
लिपिस्टिक
रिबन
कंघी
शीशा
बिछिया
नाक की नथ
रुमाल

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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