shri radha chalisa: श्री राधा चालीसा का रोजाना करें पाठ, मिलेगा सुख - सौभाग्य का आशीर्वाद

Last Updated 16 Sep 2023 09:33:57 AM IST

श्री राधे वृषभानुजा,भक्तनि प्राणाधार। वृन्दावनविपिन विहारिणी,प्रणवों बारंबार॥ जैसो तैसो रावरौ,कृष्ण, चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम॥


shri radha chalisa lyrics in hindi - राधा चालीसा में माता राधा रानी के जीवन,श्री कृष्ण के प्रति उनका निश्छल प्रेम व भक्ति का वर्णन किया गया है। राधा हिन्दू धर्म की देवी हैं। जो चतुर्भुज विष्णु की अर्धांगिनी श्री लक्ष्मी माता का अवतार मानी जाती हैं। श्री राधा रानी और श्री कृष्ण को शाश्वत प्रेम का प्रतीक माना जाता है। श्री राधा रानी जी की आराधना से सुख - शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना करने से घर में प्रेम तथा शांत वातावरण का माहौल रहता है। तो आइए पढ़े श्री राधा चालीसा –

            ॥दोहा॥
श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार॥
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम।
चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम॥
              
        ।।चौपाई।।
जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा।
नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा।।

राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी।
करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी।।

दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी।
नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै, राधा राधा कही हरशावै।।


मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी।।

नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा।
गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना।।

जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना।
संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं।।

रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा।।

उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी।
नित्य धाम गोलोक विहारिन, जन रक्षक दुःख दोष नसावनि।।

शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पाँई शेष शारद।
राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन होत बनवारी।।

ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही, बिहरत नित वृन्दावन माँहि।।

राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा।
श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी।।

कोटिक रूप धरे नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा।
रास केलि करी तुहे रिझावें, मन करो जब अति दुःख पावें।।

प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भांति नित विनय सुनावे।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा।।

कोटिन यज्ञ तपस्या करहु, विविध नेम व्रतहिय में धरहु।
तऊ न श्याम भक्तहिं अहनावें, जब लगी राधा नाम न गावें।।

व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा।।

श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा।
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं, ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं।।

कीरति हूँवारी लडिकी राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।
नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरी मनभावना।।

राधा नाम परम सुखदाई, भजतहीं कृपा करहिं यदुराई।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै, जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै।।

रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी।
वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी।।
                    
         ।।दोहा।।
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम।
करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम।।
shri radha chalisa lyrics in hindi

राधा चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। राधा देवी की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। राधा देवी चालीसा के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। राधा देवी की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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