भरोसा

Last Updated 09 Feb 2022 12:02:03 AM IST

आपका मन जो कह रहा है, वह फिलहाल आपको तार्किक और सीधा लग रहा है, लेकिन किसी दूसरी जगह हो सकता है कि यह पूरी तरह से अटपटा लगे।


सद्गुरु

खासतौर पर बात जब उस आयाम की आती है, जो अभी आपके बोध में नहीं हो, तो वहां आपका मन आपके लिए एक खतरनाक गाइड बन जाता है। यह आपको ऐसी बातें बताता है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। वहीं दूसरी ओर यह कई ऐसी चीजों की अनदेखी कर जाता है, जो ठीक आपके सामने मौजूद होती हैं।
यही वजह है कि योग शरीर, ऊर्जा, सांस, भावनाओं और बोध के जरिए आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए एक समग्र मार्ग है, लेकिन यह बुद्धि का सहारा नहीं लेता। हम इस शरीर को मांस और रक्त के एक पिंड के तौर पर न देखकर इसे एक शक्तिशाली साधन या उपकरण बनाना सीखते हैं, जो किसी भी चीज को बड़ी खूबसूरती से महसूस कर सके व आंक सके।
अगर हमें इस शरीर को भोजन के एक ढेर से या फिर अपनी रासायनिक बाध्यताओं से कुछ अधिक बनाना है तो इसके लिए हमारे पास एक पूरा विज्ञान और तकनीक मौजूद है कि कैसे इस जीवन को विकसित किया जाए। अभी जो भौतिक प्रक्रियाएं चल रही हैं, अगर आप उनसे पहचान बनाए बिना सहज रूप से यहां बैठ सकते हैं, अगर आप खुद को स्त्री या पुरु ष रूप में जाने बिना सहज रूप से बैठ सकते हैं, अगर आप इस शरीर को बस एक उपकरण के तौर पर देख सकते हैं, इसका एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करना सीख सकते हैं तो आप देखेंगे कि यह अपने आप में एक बेहद शक्तिशाली उपकरण हो जाएगा।

मानव शरीर इस धरती का सबसे संवेदनशील और सक्षम उपकरण है। यह आपको हर उस चीज के बारे में बता सकता है, जो यहां मौजूद है और जो इससे परे है। तो वहां तक पहुंचने के इस विज्ञान को हम योग के रूप में जानते हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों को योग बहुत दूर की चीज सिर्फ  इसलिए लगती है, क्योंकि वे लोग इस छोर पर खड़े रहकर दूसरे छोर पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने अपनी नाव इस किनारे बांध रखी है, और दूसरे किनारे पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस तरह से यह काम बहुत मुश्किल है।



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