कारण-परिणाम
मैं तुम्हें एक जीवन के गहरे कानूनों में से एक बताता हूं। तुमने सुना होगा, और पूरा विज्ञान इस पर निर्भर करता है, कि कारण और परिणाम आधारभूत नियम है।
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
तुम कारण निर्मिंत करो और परिणाम अनुसरण करेगा। जीवन एक कारण-कार्य कड़ी है। तुमने मिट्टी में बीज डाल दिया है और वह अंकुरित होगा। कारण है, तो वृक्ष पीछे चले आएंगे। आग है: तुम उसमें अपना हाथ डालोगे तो जल जाएगा। कारण है तो परिणाम अनुसरण करेंगे। तुम कारण की व्यवस्था करो और तब परिणाम घटित होता है। बुनियादी वैज्ञानिक कानूनों में से एक है, कि कारण और परिणाम जीवन की सभी प्रक्रियाओं की अंतरतम कड़ी है।
धर्म एक और कानून जानता है जो इससे अधिक गहरा है। लेकिन वह दूसरा कानून बेतुका लग सकता है अगर तुम उसे नहीं जानते और इसका प्रयोग नहीं करते। धर्म कहते हैं : परिणाम पैदा करो और कारण घटेगा। यह वैज्ञानिक दृष्टि से बिल्कुल बेतुका है। विज्ञान कहता है: कारण है, परिणाम घटेगा। धर्म कहता है, इससे उल्टा भी सच है: परिणाम पैदा करो और देखो, कारण घटेगा। मान लो एक ऐसी स्थिति बनी है जिसमें तुम खुशी से भर गए हो। एक दोस्त आ गया है, या प्रेमिका का संदेसा आया है। एक स्थिति कारण बनी है तुम खुश हो। खुशी परिणाम है। प्रेमी कारण बना है।
धर्म कहता है: खुश रहो तो प्रेमी आता है। परिणाम पैदा करो और कारण पीछे चला आता है। मेरा अपना अनुभव है कि दूसरा कानून पहले के बनिस्बत अधिक बुनियादी है। मैं करता रहा हूं और यह कारगर हो रहा है। बस, खुश रहो: प्रिय आता है। बस खुश होओ: दोस्त इकट्ठे होते हैं। बस खुश होओ: सब कुछ घटता है। जीसस वही बात अलग शब्दों में कहते हैं : पहले तुम प्रभु के राज्य को खोजो, फिर सब कुछ पीछे चला आएगा। लेकिन प्रभु का राज्य अंतिम है, परिणाम है।
तुम पहले अंत की खोज करो। अंत का मतलब है परिणाम, फल और कारण पीछे होंगे। यह वैसा ही है जैसा कि होना चाहिए। यह ऐसा नहीं है कि तुम सिर्फ मिट्टी में बीज डालो और पेड़ उगेगा; एक पेड़ होने दो और करोड़ों बीज पैदा होते हैं। कारण के पीछे परिणाम आता है, तो परिणाम के पीछे फिर से कारण आता है। यह श्रृंखला है! तब यह एक चक्र बन जाता है। कहीं से शुरू करो, कारण पैदा करो या परिणाम पैदा करो।
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