स्त्री

Last Updated 04 Jan 2022 12:03:34 AM IST

सारी की सारी शिक्षा पुरुष के लिए ईजाद की गई है। और उसी पुरुष के लिए ईजाद की गई, स्त्री को भी उसी शिक्षा के ढांचे में ढाला जा रहा है।


आचार्य रजनीश ओशो

उसके परिणाम घातक हो रहे हैं। यूनिवर्सिटी से पढ़-लिख कर जो लड़की निकलती है, उसमें स्त्रैण तत्व अनिवार्यत: कम हो जाता है। क्योंकि शिक्षा पुरुष के लिए ईजाद की गई थी। थोड़ा उलटा सोचें तो समझ में आ जाएगी बात। कोई नगर ऐसा हो, जहां की सारी शिक्षा स्त्रियों के लिए ईजाद की गई हो। संगीत की शिक्षा वहां दी जाती हो, नृत्य की शिक्षा दी जाती हो, काव्य की शिक्षा दी जाती हो, भोजन बनाने की, कपड़े सीने की, मकान सजाने की, बच्चों को पालने और बड़ा करने की--यह सारी शिक्षा दी जाती हो।

किसी नगर में स्त्रियों के लिए शिक्षा दी जाती हो और उस नगर में पुरुष बहुत दिन तक अशिक्षित रखे गए हों। फिर पुरुषों में बगावत फैले और वे कहें कि हमें शिक्षा की जरूरत है, हम भी शिक्षा लेंगे। और स्त्रियां कहें कि ठीक है, हमारे कॅालेजेस में आकर तुम शिक्षा ले डालो। तो वे पुरुष भी नाचें, गाएं, गीत बनाएं, कविता करें, घर सजाएं, बच्चों को पालने की शिक्षा लें, तो क्या परिणाम होगा उस गांव में? उस गांव के पुरुष किसी गहरे अर्थ में स्त्रैण हो जाएंगे।

उस गांव के पुरुषों में, जो पुरुष होना है वह कम हो जाएगा। वह जो पुरुष की तीव्रता है, वह जो पुरुष की प्रखरता है, वह क्षीण हो जाएगी। वह जो पुरुष के कोने हैं व्यक्तित्व में, वह गोल हो जाएंगे, वह राउंड हो जाएंगे, उनको झाड़ दिया जाएगा। जैसा दुर्भाग्य उस गांव में पुरुषों के साथ होगा, वैसा दुर्भाग्य पूरी पृथ्वी पर आज स्त्रियों के साथ हो रहा है। उनके व्यक्तित्व का बुनियादी भेद छोड़ा जा रहा है। उस बुनियादी भेद को समझ लेना बहुत ही उचित है।

यह पृथ्वी पूरी शांत हो जाए, अगर दंपति शांत हो जाएं। क्योंकि हमारा सारा वैमनस्य, सारा दुख, सारी पीड़ा हमारे छोटे-छोटे घरों के उपद्रवों में पैदा होती है। जैसे एक गांव में घर-घर से धुआं निकलता है, अपने-अपने चौके से और फिर गांव के पूरे आकाश पर धुआं छा जाता है। छोटा-छोटा, एक-एक चौके से निकला हुआ धुआं धीरे-धीरे पूरे गांव के आकाश को भर देता है। सारी पृथ्वी अशांति से भर जाती है, क्योंकि जो व्यक्तियों के मिलन का मूल-बिंदू है, मूल इकाई है स्त्री और पुरुष, वह मिलन दुखद है, वहां अशांति है। वह अशांति फैलते-फैलते सारे जगत को घेर लेती है। फिर बहुत रूपों में प्रकट होती है। यह रूप इतने भिन्ना हो जाते हैं कि कहना मुश्किल है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment