दुख-पीड़ा

Last Updated 30 Oct 2020 03:37:37 AM IST

जीवन और मृत्यु का स्वभाव क्या है, यह जानने के लिए सभी तरह की चीजें की गई हैं।


जग्गी वासुदेव

पर आप इसके बारे में सोच कर या प्रयोग कर के इसको समझ नहीं सकते। सिर्फ  अनुभव से ही आप इसे समझ सकते हैं। जब भी लोग मृत्यु और ‘मृत्यु के बाद क्या होता है’ के बारे में मुझसे सवाल करते हैं तो मैं उन्हें याद दिलाता हूं कि इसे अनुभव से जानना ही सबसे अच्छा है। मेरा मतलब यह नहीं है कि उन्हें मर जाना चाहिए। मेरा कहना यह है कि आपको अपने अंदर के जीवन के बारे में जानना चाहिए। आप अगर सिर्फ  अपने शरीर का अनुभव कर रहे हैं तो मैं चाहे कुछ भी कहूं, आप उलटा ही समझेंगे।

अगर आपके जीवन का अनुभव केवल आपके मानसिक और शारीरिक ढांचे तक ही सीमित है, तो आप इस आयाम तक नहीं पहुंच सकते। मृत्यु और उसके बाद जो कुछ भी है, वो कोई ऐसे रहस्य नहीं हैं  जो किसी स्वर्ग या नर्क में छिपे हुए हैं-वे यहीं पर हैं, अभी हैं। बात बस यह है कि अधिकतर मनुष्य इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं देते क्योंकि वे बाकी चीजों के साथ बहुत व्यस्त रहते हैं। उनके लिए उनका पेशा, उनका कारोबार उनके जीवन से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। उनके लिए उनका प्यार संबंध उनके जीवन से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। उनके पड़ोस के किसी व्यक्ति के साथ उनकी छोटी-सी समस्या उनके जीवन से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। वे कैसे कपड़े पहनते हैं, ये उनके जीवन से बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। ये सिर्फ  कुछ ही उदाहरण हैं।

चूंकि जीवन के बारे में आपके विचार गलत हैं, तो जीवन आपसे दूर ही रहता है। वास्तव में जीवन आपसे दूर नहीं होता, आप उससे बच-बच कर रहते हैं। जीवन आपको टालने की, आपसे दूर जाने की कोशिश नहीं करता, आप ही उससे दूर रहते हैं। आपके जीवन के कड़वे, दर्द-भरे अनुभव आपको जीवन की वजह से नहीं हुए थे। वे अपने मन और शरीर को संभालने की आपकी अयोग्यता की वजह से हुए थे। जीवन ने कभी आपको कोई दर्द या पीड़ा नहीं दी है। यह सिर्फ आपके मन और शरीर के कारण हुए हैं। आप जानते ही नहीं कि अपने शारीरिक और मानसिक ढांचे को कैसे संभालें? आपको कुदरत ने दो अद्भुत साधन दिए हैं पर आपने उनको बिगाड़ दिया है। आपके सभी दुख और पीड़ाएं बस आप ही की वजह से हैं। जीवन की वजह से नहीं।



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