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Last Updated 20 Oct 2020 01:00:34 AM IST

श्रृंगार कुरूप लोगों की खोज है। ऐसा नहीं है कि श्रंगार कुरूप है, लेकिन श्रंगार अपने में कुरूप खोज है।


आचार्य रजनीश ओशो

कुरूप व्यक्ति स्वाभाविक रूप से सुंदर व्यक्ति की तुलना में हीनता का अनुभव करता है--ईष्र्यालु, प्रतिस्पर्धात्मक। कुरूप व्यक्ति इसकी पूर्ति कृत्रिम ढंग से करने का प्रयत्न करता है। स्वाभाविक सुंदर व्यक्ति को किसी चीज की पूर्ति नहीं करनी होती, लेकिन स्वाभाविक रूप से सुंदर व्यक्ति बहुत कम हैं, इसलिए श्रंगार लगभग सामान्य घटना बन गई है। हजारों वर्षो से आदमी हर संभव तरीकों से उसे छिपाने की कोशिश करता रहा है, जो उसके अंदर कुरूप है--शरीर में, मस्तिष्क में, या आत्मा में।

यहां तक कि वे व्यक्ति भी जो स्वाभाविक रु प से सुंदर हैं, उन व्यक्तियों का अनुकरण करना शुरू कर देते हैं, जो कुरूप और कृत्रिम होते हैं। केवल इस कारण से, क्योंकि कृत्रिमता धोखा देने में सक्षम होती है। उदाहरण के लिए, स्तन स्वाभाविक रूप से इतने सुंदर नहीं होते जितने दिखाई दिए जा सकते हैं। यहां तक कि कोई स्त्री जिसके स्तन स्वाभाविक रूप से सुंदर हों, वह भी यह सोचना शुरू कर देती है कि वह स्त्री जिसके स्तन स्वाभाविक सुंदर नहीं है अथवा वह कम से कम ऐसा मान लेती है तो भी ऐसा दिखावा करती है जैसे वे बहुत ही सुंदर हो। इस तरह से स्वाभाविक सुंदरता भी अनुकरण करना शुरू कर लेती है। श्रंगार, और श्रंगार का विचार मूल-रूप से पाखंड है। प्रत्येक को स्वयं के स्वाभाविक रूप को प्रेम और स्वीकार करना चाहिए.. केवल शारीरिक स्तर पर ही नहीं क्योंकि यही से यात्रा प्रारम्भ होती है।

और अगर तुम यहां पर गलत हो, तब क्यों नहीं तुम इसी तरह से  मस्तिष्क के संबंध में मान ले सकते? तब स्वयं को संत (ज्ञानी) मान लेने में क्या बुराई है, ज्ञानी, जो कि तुम नहीं हो? तब भी तर्क वही रहेगा। और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि नकल असल को हरा देती है, क्योंकि नकल अभ्यास कर सकती है, दोहराई जा सकती है, व्यवस्थित की जा सकती है और उसमें बहुत तरीकों से कुशलता लाई जा सकती है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह सब, जो प्राकृतिक नहीं है, वह बुरा है। प्रकृति में भी सुधार लाया जा सकता है, इसी के लिए ही प्रतिभा का होना है, पर यह प्रकृति के विरुद्ध नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, ओंठों को अच्छे भोजन, अच्छे व्यायाम और अच्छी दवाइयों से भी लाल किया जा सकता है। यह भी प्रकृति में किया गया सुधार है, लेकिन प्रकृति में, प्राकृतिक तौर पर किया गया सुधार है।



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