तल्लीनता
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या कर रहे हैं, जो कर रहे हैं-वह कितना बड़ा या छोटा काम है। यह कोई मुद्दा ही नहीं है।
सद्गुरु |
आप जो भी कर रहे हैं, उससे किस हद तक जुड़े हुए हैं, यही चीज आपके जीवन को सुंदर बनाती है। आप फर्श को साफ करते हुए भी अपने जीवन में परमानंद की अनुभूति कर सकते हैं। मैं आपको आश्रम में दिखाऊंगा कि कैसे लोग बड़े आनंद के साथ फर्श साफ कर रहे हैं। उनको काम करते देख ऐसा लगेगा मानो वे धरती का सबसे महान काम कर रहे हों।
जब आप पूरी तरह शामिल होकर किसी काम को करते हैं, तो छोटी-छोटी चीजों पर भी लोग गौर करने लगते हैं। कुछ लोग तेल का दीया जलाने के बजाय घी का दीया जलाते हैं, क्योंकि उन्होंने गौर किया है कि घी के दीए से निकलने वाली रोशनी की चमक तेल के दीए के मुकाबले थोड़ी अलग होती है। ये लोग अपने भगवान के लिए थोड़ी अलग चमक व आभा रखना चाहते हैं।
कितनी शानदार बात है! भले ही ईश्वर यहां हो या नहीं, लेकिन आपका जीवन बस यह दीया जलाकर ही खूबसूरत हो गया। हालांकि जीवन का यह आयाम नारी सुलभ माना जाता है, क्योंकि ज्यादातर महिलाएं ऐसे ही जीवन जीती हैं। उनके जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि उनके बच्चे अच्छी तरह से खाएं, वे अच्छी तरह से काम करें। इसकी खूबसूरती की कल्पना कीजिए, जहां व्यक्ति खुद अपने जीवन से परे जाकर दूसरों के लिए सबकुछ कर रहा है, उसे अपनी जिंदगी के बारे में कभी कोई चिंता नहीं होती।
चूंकि औरत की इस खूबी का शोषण हुआ, इसलिए यह खूबी भद्दी हो गई। अगर इसका शोषण न हुआ होता तो यह बिल्कुल शानदार चीज थी। हम लोग जब बड़े हो रहे थे, तो परिवार में हम चार लोग थे। मेरी मां उन दिनों के हिसाब से ठीक-ठाक पढ़ी-लिखी थीं। उनका पूरा जीवन ही घर को समर्पित था, सुबह से लेकर रात तक वह घर का सारा काम पूरे व्यवस्थित तरीके से करती थीं। वह बेहद व्यवस्थित महिला थीं। अगर वह घर के सामान की लिस्ट बनाने बैठ जाएं, तो फिर उसमें कुछ भी छूटता नहीं था। उसी हिसाब से सामान आता था। इसके बाद पूरे महीने कोई भी चीज कम नहीं पड़ती थी। मैं आपको यह सब बस इसलिए बता रहा हूं कि उनके अंदर जुड़ाव का स्तर कमाल का था।
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