जड़ता

Last Updated 19 Aug 2020 01:29:32 AM IST

अगर किसी की बुद्धि को खास तरह से काम करना है तो उसके भीतर जड़ता कम-से-कम होनी चाहिए।


सद्गुरु

यह जड़ता कितनी कम है, इससे यह तय होता है कि उस व्यक्ति के मन और बुद्धि की एकाग्रता और तीव्रता कैसी होगी। इस आधार पर उन्होंने नियम बनाए, जिन्हें आप जीवन-आचरण कह सकते हैं। ये अभ्यास, आध्यात्मिक अभ्यास से अलग थे, ये दैनिक जीवन के कामकाज से जुड़े थे, जैसे-कैसे बैठें, कैसे खड़ें हों, कैसे खाएं, क्या खाएं, क्यां नहीं खाएं, आप जो भी खातें हैं, उसे कैसे खाएं, उसे किसके साथ खाएं, उसमें आप क्या मिलाएं और क्या न मिलाएं आदि। मैं इन सब नियमों के विस्तार में नहीं जाऊंगा, लेकिन निश्चित तौर पर इनका वैज्ञानिक आधार है।

समय के साथ इनमें से ज्यादातर नियम बढ़-चढ़ कर अजीबोगरीब हालत तक पहुंच गए, जिन पर गौर किए जाने की जरूरत है, लेकिन इनमें से ज्यादातर नियम इंसान की बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ाने की वैज्ञानिक प्रक्रियाएं हैं। हिंदू जीवन पद्धति की बहुत सारी चीजें इसी तरफ केंद्रित हैं। उदाहरण के लिए अगर आप आज भी देखें कि जब लोग मंदिर, खासकर गणपति मंदिर जाते हैं तो वहां भगवान के सामने लोग अपने दोनों हाथों से उलटे कानों को-दाहिने हाथ से बाएं कान को और बाएं हाथ से दाहिने कान को पकड़कर उठक-बैठक लगाते हैं। हालांकि समय के साथ यह आंडबर का रूप लेता गया, लेकिन अगर आप इसे ठीक तरीके से करेंगे तो इसका असर होता है। आज इसे लेकर बहुत सारे अध्ययन हुए हैं, खासकर येल यूनिर्वसटिी ने।

अध्ययन के अनुसार अगर आप इस तरह से कानों को पकड़ेंगे और इस दौरान कोई गतिविधि को तेजी से करेंगे तो दाएं व बांए दिमाग में आपस में संचार काफी बढ़ जाएगा। आपको एक बात समझनी होगी कि यह प्रक्रिया गणपति के सामने की जाती है। गणपति बुद्धि के मामले में सबसे तेज व योग्य समझे जाते हैं। आपकी बुद्धि कितनी लचीली और प्रभावशाली है, यह इस पर निर्भर करता है कि आपके मस्तिष्क के बाएं व दाएं भाग कितनी अच्छी तरह से आपस में तालमेल बैठा पा रहे हैं। हमने शांभवी महामुद्रा के मामले में देखा है कि इसके समुचित अभ्यास से छह से बारह हफ्ते में मस्तिष्क के बाएं व दाएं हिस्सों के बीच का संतुलन जबरदस्त तरीके से बढ़ जाता है।



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