डिप्रेशन

Last Updated 24 Jun 2020 12:59:39 AM IST

मैं ये जो कुछ कह रहा हूं वह इसलिए नहीं है कि मुझे आप के बारे में कोई चिंता नहीं है या मैं संवेदनहीन हूं लेकिन इसलिए कि आपको जो हो रहा है, उसका स्वभाव, उसकी प्रकृति यही है।


सद्गुरु

अगर आप खुद को डिप्रेशन की स्थिति में ला रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप पर्याप्त मात्रा में तीव्र भावनाएं और विचार अपने मन में पैदाकर रहे हैं, लेकिन गलत दिशा में। अगर किसी विशेष बात के लिए आप की भावनाएं बहुत प्रबल नहीं हैं या आप के विचार अत्यन्त तीव्र नहीं हैं तो आप का मन निराश नहीं हो सकता, आप डिप्रेशन में नहीं हो सकते।

बात बस ये है कि आप ऐसे विचार और भावनाएं पैदा कर रहे हैं जो आप के खिलाफ काम कर रही है, आप के लिए नहीं। तो अपने आपको डिप्रेशन की स्थिति में लाने के लिए आप पर्याप्त रूप से समर्थ हैं। ज्यादातर डिप्रेशन खुद अपने ही बनाए हुए होते हैं। बहुत कम ही लोग वास्तव में किसी रोग के कारण डिप्रेशन में होते हैं। वे कुछ नहीं कर सकते, उनका डिप्रेशन अंदर से, किसी आनुवांशिक कमज़ोरी या ऐसे ही किसी अन्य कारण से होता है।

बाकी लगभग सभी लोगों को पागल किया जा सकता है क्योंकि स्थिर मानसिकता और पागलपन की सीमारेखा में अंतर बहुत ही पतला, महीन होती है। लोग इसे लगातार धक्का मारते रहते हैं, इसे पार करने में लगे रहते हैं। जब आप गुस्सा होते हैं तब आप इस बीच के अंतर को कम कर देते हैं। वास्तव में आप जानते भी हैं कि आप इस रेखा को पार कर रहे हैं, अंतर को कम कर रहे हैं। इसीलिये कई बार लोग ऐसा कहते हैं, ‘मैं आज उस पर (गुस्से से) पागल हो गया था।’ कृपया देखिये, आप किसी पर पागल नहीं होते, आप बस पागलपन की ओर जा रहे होते हैं। आप ‘किसी पर पागल’ नहीं हो सकते।

आप बस स्थिर मानसिकता की सीमारेखा को कुछ समय के लिए लांघते हैं, पागलपन की अवस्था तक पहुंचते हैं और फिर वापस आ जाते हैं। आप इसे रोज क्यों नहीं आजमाते? हर दिन 10 मिनट, किसी पर जबरदस्त, तीव्र गुस्सा करके देखें! आप देखेंगे कि 3 महीनों में आप, डिप्रेशन के रोगी हो जाएंगे। हां, क्यों नहीं? अगर आप चाहते हैं तो ऐसा कीजिए, कोशिश कीजिए! क्योंकि अगर आप उस सीमा रेखा को पार करते रहेंगे, अगर आप रोज पागलपन करते रहेंगे तो एक दिन आप बिल्कुल वापस नहीं आ पाएंगे।



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