राष्ट्रवाद को त्यागें
मनुष्यता की अस्सी प्रतिशत योग्यता युद्धकार्य में व्यय होती है।
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यदि यह योग्यता कृषि कार्य में लगती, बगीचों पर खर्च होती, फैक्टरियों में इसका उपयोग होता तो यह धरती स्वर्ग बन जाती। तुम्हारे पुरखे गुरु आकाश में स्वर्ग के जो सपने देखते-दिखाते थे, वह धरती पर साकार हो सकते हैं। इसमें कोई बाधा नहीं है पुरानी आदतों के सिवा ‘यह हमारा देश है, वह उनका देश है। हमें लड़ना होगा, उन्हें लड़ना होगा।’ गरीब से गरीब देश भी एटम बम बनाने में लगा हुआ है। वे भूखों मर रहे हैं, पर बम जरूर बनाएंगे। भारत जैसे देश में भी यही भावना काम कर रही है।
हम भूखे रह लेंगे, पर हमारी शान बनी रहनी चाहिए। मैं देशों में विश्वास नहीं करता। यदि मेरी बात मानी जाए तो मैं कहना चाहूंगा कि भारत पहला देश होना चाहिए राष्ट्रवाद को त्यागने वाला। अच्छा होगा यदि कृष्ण, बुद्ध, पतंजलि और गोरख का देश राष्ट्रवाद का परित्याग करते हुए कहे कि, ‘हम अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र हैं।’ भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की असेंबली बननी चाहिए। हमें कहना चाहिए हम स्वयं को संयुक्त राष्ट्र को सौंपने वाला पहला देश हैं वह अपने अधिकार में ले।
किसी को यह शुरुआत करनी चाहिए। यदि यह शुरू हो जाता है तो युद्ध की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। जब तक सीमाएं है, तभी तक युद्ध रहेंगे। ये सीमाएं समाप्त होनी चाहिए। यह कहा जा सकता है कि एक राष्ट्र के संदर्भ में मैं देशद्रोही हूं, पर मैं मानवताद्रोही नहीं हूं। वास्तव में देशों को प्यार करने वाले सब मानवताद्रोही हैं। राष्ट्रभक्ति का मतलब ही ‘मानवता के प्रति द्रोह’ है। राष्ट्रप्रेम का मतलब है टुकड़ों में बांटना। क्या आपने यह नहीं देखा कि अपने क्षेत्र के प्रति भक्ति रखने वाला देश का दुश्मन बन जाता है। और अपने जिले के प्रति भक्ति रखने वाला क्षेत्र का शत्रु बन जाता है। मैं राष्ट्र का शत्रु नहीं हूं, मैं अंतरराष्ट्रीय विचार वाला हूं। यह सारी पृथ्वी एक है।
मैं विशाल के लिए लघु का त्याग करना चाहता हूं। इन छोटे-छोटे घेरों ने मनुष्य को बहुत ज्यादा पीड़ा दी है। तीन हजार सालों में पांच हजार युद्ध लड़े गए हैं। पहले जब युद्ध होते थे तो इतने घातक नहीं होते थे तीर कमान से लड़े जाते थे। कुछ लोगों का मरना बहुत बड़ी बात नहीं थी। पर अब युद्ध का मतलब पूरा युद्ध होता है। अब हर जगह हिरोशिमा बन सकती है किसी भी दिन, किसी भी क्षण। इस युद्ध की भयंकरता की कल्पना करो और सोचो कि इसमें कितनी शक्ति खर्च हो रही है।
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