धार्मिकता

Last Updated 14 Apr 2020 12:20:13 AM IST

राष्ट्रों के बाद दूसरा बड़ा रोग है धर्म। क्योंकि वे लड़ते ही रहे हैं, मार-काट ही करते रहे हैं; और ऐसे कारणों के लिए जिनमें किसी को रस नहीं है।


आचार्य रजनीश ओशो

ईसाइयत पहला धर्म था, जिसने लोगों के मन में यह ख्याल पैदा कर दिया कि युद्ध भी धार्मिंक हो सकता है। और इस्लाम और अन्य धर्मो ने उसका अनुसरण किया और वे परमात्मा के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करते रहे। मैं कहता हूं, युद्ध मात्र अधार्मिंक है। धर्मयुद्ध, जेहाद या पवित्र युद्ध जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती।

अगर तुम युद्ध को पवित्र कहते हो तो फिर अपवित्र कहने के लिए क्या बचता है? परमात्मा में किसे रस है, सिवाय पुरोहितों के? मेरा कभी ऐसे आदमी से मिलना नहीं हुआ जो सचमुच परमात्मा में उत्सुक हो। अगर तुम एक हाथ में पांच रुपये का नोट रखो और दूसरे हाथ में परमात्मा, तो वह पांच रुपये का नोट उठा लेगा और कहेगा, ‘परमात्मा तो शात है; देखेंगे, फिर कभी। अभी तो पांच रुपये ज्यादा काम के होंगे।’ लेकिन पुरोहितों की उत्सुकता इसलिए है क्योंकि परमात्मा उनका धंधा है, और वे चाहते हैं कि उनका धंधा खूब चले।

धर्मो ने मनुष्य की अखंडता को नष्ट कर दिया है। उन्होंने उसको तोड़ दिया है-न केवल खंडों में बल्कि विपरीत खंडों में; और ये खंड निरंतर आपस में लड़ते रहते हैं। इसी भांति उन्होंने मानवता को खंडित, स्किजोफिनक कर दिया है। उन्होंने हर व्यक्ति को एक खंडित व्यक्तित्व दे दिया है। यह बड़ी होशियारी और चालाकी से किया गया है-तुम्हारे शरीर की, तुम्हारे सेक्स की निंदा करके, तुम्हें अपने ही स्वभाव के खिलाफ भड़का कर। सारे धर्म उन सब चीजों के खिलाफ हैं जिनका मनुष्य मजा ले सकता है। मुनष्य को दुखी रखने में, शांति, आनंद और तृप्ति को खोज लेने-अभी और यहीं स्वर्ग की प्राप्ति-की हर संभावना को नष्ट करने में उनका न्यस्त स्वार्थ है। तुम्हारा दुख नितांत आवश्यक है ताकि परलोक बना रहे।

उदाहरण के लिए अगर तुम्हारा सेक्स सचमुच तृप्त हो गया तो तुम्हें परमात्मा की जरूरत नहीं होती क्योंकि तुम्हारा जीवन कृतकृत्य हो जाता है। लेकिन अगर तुम्हारे सेक्स की निंदा की जाए, उसका दमन किया जाए, उसे नष्ट किया जाए, अगर तुम्हारे मन में उसके प्रति निंदा का भाव पैदा किया जाए तो फिर परमात्मा सदा जीता चला जाएगा। धर्मो ने तुम्हें सिखाया है कि तुम इस जगत के हिस्से नहीं हो। तुम यहां कोई सजा भुगतने, तुम्हारे मौलिक पाप का प्रायश्चित्त करने के लिए हो।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment