शून्य होना सीखो

Last Updated 25 Feb 2020 04:45:58 AM IST

अनेक भारतीय मित्र पत्र लिखकर मुझे पूछते हैं कि न मालूम कितने विदेशी मित्र हिंदी प्रवचन भी सुनने आते हैं।


आचार्य रजनीश ओशो

इनकी क्या समझ में आता होगा? मगर सत्संग का समझने, न-समझने से कुछ लेना-देना नहीं है। सच तो यह है, मुझे बहुत से विदेशी मित्र लिखते हैं कि जब आप अंग्रेजी में बोलते हैं, तो हमारी बुद्धि बीच में आ जाती है। हम सोच-विचार में लग जाते हैं। वह मजा आ नहीं पाता, जो जब आप हिंदी में बोलते हैं क्योंकि बुद्धि को तो कुछ करने को बचता ही नहीं।

सिर्फ  आपकी उपस्थिति रह जाती है। हम रह जाते हैं, आप रह जाते हैं, बीच में कोई व्यवधान नहीं रह जाता। मगर इस देश के अभाग्य की कोई सीमा नहीं है। जब मैं अंग्रेजी में बोलता हूं, तो जो हिंदुस्तानी मित्र अंग्रेजी नहीं समझते, वे आना बंद कर देते हैं। वे मुझे लिखते हैं कि आप अंग्रेजी में बोलते हैं, तो हम क्या करें आ कर। इस बीच कुछ और काम-धाम देख लेंगे। अरे, जब समझ में ही नहीं आना है, तो समय क्यों गंवाना! जैसे समझ ही सब कुछ है। समझ के पार भी कुछ है। और जो समझ के पार है, वही सब कुछ है। मुक्ता! शून्य होना सीख, तो तुझे मेरे उठने-बैठने में भी हरिकथा सुनाई पड़ेगी। मैं तेरी तरफ देखूं या न देखूं, इससे कुछ भेद न पड़ेगा। इस भीड़ में भी मेरी आंखें उनको खोज लेती हैं।

लेकिन इस भीड़ में भी मेरी आंख अपने आप उन पर टिक जाती है, जो शून्य होकर बैठे हैं। वे अलग ही मालूम होते हैं। उनकी भाव-भंगिमा अलग है। मौजूदगी का रस अलग है। मौजूदगी की प्रगाढ़ता अलग है। जैसे हजारों बुझे दीए रखे हों और उनमें दो-चार दीए जल रहे हों। तो वे दीए जो जल रहे हैं, अलग ही दिखाई पड़ जाएंगे। कुछ खोजना थोड़े ही पड़ेगा कि कौन-कौन से दीए जल रहे हैं! हजारों दीए रखे हों बुझे, उस भीड़ में चार दीए जल रहे हों, तुम्हारी आंखें फौरन जलते हुए दीयों पर पहुंच जाएंगी। यूं मैं इधर आता हूं; क्षण भर को हाथ जोड़कर तुम्हें देखता हूं।

जाते वक्त क्षण भर को हाथ जोड़ कर तुम्हें देखता हूं। उस क्षण भर में उन पर मेरी आंखें पहुंच जाती हैं-मैं पहुंचाता नहीं; पहुंच जाती हैं-जो जल गए दीए हैं। जो बुझे दीए हैं उन पर आंखें ले जाकर भी क्या करूं। आंखें वहां जाएंगी भी तो बुझे दीयों को क्या होगा? और अकड़ आ जाएगी। बुझने का रास्ता मिल जाएगा। यूं ही बुझे हैं, और बुझे में बुझ जाएंगे। यूं ही मरे हैं-और मर जाएंगे। उन पर तो मेरी भूल से भी नजर पड़ जाए, तो मैं हटा लेता हूं क्योंकि उनको कहीं भी यह भ्रांति न हो जाए कि मैं उन पर ध्यान दे रहा हूं।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment